"चम्बल नदी": अवतरणों में अंतर

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'''महानदी चर्मराशेरूत्क्लेदात् ससृजेयतःततश्चर्मण्वतीत्येवं विख्याता स महानदी'''।
 
कालिदास ने भी मेघदूत-पूर्वमेघ 47 में चर्मण्वती नदी को रंतिदेव की कीर्ति का मूर्तaमूर्त स्वरूप कहा गया है-
 
<poem>आराध्यैनं शदवनभवं देवमुल्लघिताध्वा,