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१. ईश्वर :–   ईश्वरो (अनेकवचन ),    ईश्वरी (स्त्रीलिंग ),२. भगवान :-  भगवानो ( अनेकवचन ) , भगवती ( स्त्रीलिंग )
 
उक्त नाम ईश्वर  के गौण नाम है|   “ॐ ” यह नाम ईश्वर का अत्युत्तम और मुख्यनाम है क्योकि ईश्वर न स्त्री है, न पुरूष है, और न ही नपुंसक है |https://web.archive.org/web/20200710183937/https://esmarthindi.com/om-meaning-in-hindi/है।
 
ॐ परब्रह्म का वाचक है ,क्योंकि ॐ से ही सृष्टि संचालन होता है, और ॐ की शक्ति की वजह से ही सृष्टि की रचना हुई है:-
कुछ लोग त्रिदेवो का वाचक ॐ को समझते हैं जो गलत है क्योंकि ॐ त्रिदेवों से भी ऊपर की सत्ता है जो त्रिदेवों और अन्य सांसारिक इंसान, पशु-पक्षियों, प्रकृति
का महाप्रभु ही नही जन्मदाता भी है,इसलिये[http://hindi.webdunia.com/%E0%A5%90-%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF/%E0%A5%90-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%89%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A3-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF-1100707063_1{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }} ॐ को परमपिता परमात्मा का रूप समझना चाहिए
 
जीवन का पूरा सत्य है ॐ के अंदर ही होता है कोई भी प्राणी जन्म लेता है तो उसे एक आकार मिलता है फिर उसे अपना जीवन दूसरों के उपकार के लिए लगाना चाहिए अंत समय में सभी प्राणी मृत्यु को प्राप्त होते हैं इन सभी का साक्षी परमपिता परमात्मा एक बिंदु रूप में हमारे साथ और जीवन भर रहते हैं इसलिए हमें सदा ही धर्म के कार्य के लिए अपना जीवन लगा देना चाहिए
 
=== लाभ ===
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ॐ" से प्राप्त