"द्रोणाचार्य": अवतरणों में अंतर

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==मृत्यु==
युद्ध के पंद्रहवे दिन द्रोण द्वारा युद्ध में हो रही पांडव सेना की हानि को देख [[श्री कृष्ण]] ने [[युधिष्ठिर]] को [[द्रोण]] को हराने के लिए भेद का सहारा लेने को कहा और युद्ध में ये बात फैलाने के लिए कहा की अश्वत्थामा युद्ध में मारा गया। तब इसको अपने धर्म के विरुद्ध देख कर युधिष्ठिर इस कपट को नकारने की कोशिश करने लगे तभी एक योजना ने के तहत भीम ने अवंतिराज के एक अश्वत्थामा नामक हाथी का वध किया और युधक्षेत्र में ये बात फैलाने लगा कि अश्वत्थामा मारा गया। जब इस बात का द्रोण को इसका पता चला तो वो युधिष्ठिर के पास गए और पूछा कि सच में अश्वत्थामा की मृत्यु हो गई है तब युधिष्ठिर ने अश्वत्थामा नामक मरे हुए हाथी को ध्यान में रख कर हां कह दिया। इसको सुन कर द्रोण को सदमा लगा और वो अपने अस्त्र शस्त्र त्याग कर अपने इकलौते पुत्र की मौत का शौकशोक बनाने हेतु धरती पर बैठ गए। तभी पांडव सेना के सेनापति और द्रोपदी के भाई [[धृष्टद्युम्न]] ने तलवार से द्रोण का वध कर दिया।
 
== सन्दर्भ ==