"आर्य समाज": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Rescuing 13 sources and tagging 0 as dead.) #IABot (v2.0.1 |
छो →समाज सुधार |
||
पंक्ति 111:
सन् 1857 के पश्चात की क्रांति के जन्मदाता महर्षि दयानन्द सरस्वती और उनके शिष्य [[श्याम जी कृष्ण वर्मा]] (जो क्रांतिकारियों के गुरु थे), प्रसिद्ध क्रांतिकारी [[विनायक दामोदर सावरकर]], [[लाला हरदयाल]], [[भाई परमानन्द]], [[सेनापति बापट]], [[मदनलाल ढींगरा]], [[रामप्रसाद बिस्मिल]], [[गोपालकृष्ण गोखले]], [[सरदार भगत सिंह]] इत्यादि शिष्यों ने स्वाधीनता आन्दोलन में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इंग्लैण्ड में भारत के लिए जितनी क्रांति हुई वह श्याम जी कृष्ण वर्मा के ‘‘[[इण्डिया हाउस]]’’ से ही हुई। सरदार भगत सिंह तो जन्म से ही आर्य समाजी थे। इनके दादा सरदार अर्जुन सिंह विशुद्ध आर्य समाजी थे और इनके पिता श्री किशन सिंह भी आर्य समाजी थे। पंजाब केसरी [[लाला लाजपत राय]] प्रसिद्ध आर्यसमाजी नेता थे। <ref>{{Cite web |url=http://www.aryasamajonline.co.in/index.php/arya-samaj/22-freedom |title=स्वतंत्रता संग्राम में आर्यसमाज का योगदान |access-date=4 अप्रैल 2020 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180416123255/http://www.aryasamajonline.co.in/index.php/arya-samaj/22-freedom |archive-date=16 अप्रैल 2018 |url-status=live }}</ref>
===समाज सुधार===
[https://www.mppscexams.com/2020/07/blog-post.html#more स्वामी दयानंद सरस्वती के सामाजिक विचार-]
भारत को जिस तरह ब्रिटिश सरकार का आर्थिक उपनिवेश और बाद में राजनीतिक उपनिवेश बना दिया गया था, उसके विरूद्ध भारतीयों की ओर से तीव्र प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक था। चूंकि भारत धीरे-धीरे पश्चिमी विचारों की ओर बढ़ने लगा था, अतः प्रतिक्रिया सामाजिक क्षेत्र से आना स्वाभाविक कार्य थी। यह प्रतिक्रिया १९वीं शताब्दी में उठ खड़े हुए सामाजिक सुधार आन्दोलनों के रूप में सामने आई। ऐसे ही [[भारतीय समाजसुधारक|समाज सुधार]] आंदोलनों में आर्यसमाज का नाम आता है। आर्यसमाज ने विदेशी जुआ उतार फेंकने के लिए, समाज में स्वयं आंतरिक सुधार करके अपना कार्य किया।
इसने आधुनिक भारत में प्रारम्भ हुए पुर्नजागरण को नई दिशा दी। साथ ही भारतीयों में भारतीयता को अपनाने, प्राचीन संस्कृति को मौलिक रूप में स्वीकार करने, पश्चिमी प्रभाव को विशुद्ध भारतीयता यानी 'वेदों की ओर लौटो' के नारे के साथ समाप्त करने तथा सभी भारतीयों को एकताबद्ध करने के लिए प्रेरित किया।
|