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नाई ठकरे{{स्रोतहीन|date=अक्टूबर 2018}}
नाई या नाई ब्राह्मण, नाई ठाकुर, वैध ब्राह्मण, धनवंतरि नाई वैध, आदि भारतीय उपमहाद्वीप की एक जाति है जो मूल रूप से भारत के हर राज्य मे पाई जाति है भारत मे ब्राह्मणों के साथ नाई, नाई ब्राह्मण, वैध ब्राह्मण या धनवंतरि नाई वैध को सर्वोच्च हिन्दु जाति माना त्सक, आयुर्वेद और शल्य चिकित्सक के दाता है नाईयो को ही विश्व का पहला सर्जन बताया गया है क्योकि ये लोग उस्तरे से निपटने मे माहिर थे, इनका मुख्य कार्य आयुर्वेद और सर्जरी के दवारा लोगो का इलाज करना और युद्ध मे घायल सैनिको का आयुर्वेद औषधी द्वारा इलाज करना सर घायल होने पर बाल काटकर इलाज करना, अन्य मामलो मे वे पारंपिक रूप से दूतो का कार्य इन्होने विभिन्न राज्यो के बीच राजदूत के रूप मे काम किया, गाँवों और समुदायों के बीच संदेशो को लाना ले जाना और ब्राह्मणो के साथ सभी विवाह व मिर्त्यु जैसी सभी महतवपूर्ण कार्यकर्मो मे भाग लेना इनका मुख्य कार्य रहा है
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[[चित्र:Boy meets barber.JPG|right|thumb|260px|बच्चे का बाल काटता नाई]]
[[Image:Weeks Edwin Lord Indian Barbers Saharanpore.jpg|260px|thumb|[[सहारनपुर]] बाल काटते हुए भारतीय नाईयों का वीक्स एड्विनलॉर्ड द्वारा चित्रण]]
जो दूसरों के [[बाल]] काटता एवं सवांरता है उसे '''नाई ठकरे''' (barber) कहते हैं। [[भारत]] में यह एक [[जाति]] भी है जिसके सदस्य मुख्यत: बाल काटने एवं [[संस्कार|हिन्दू संस्कारों]] में मुख्य सहायक का काम करते आये हैं।
 
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नाम
 
नाई (न्यायी) जाति को नाई ब्राह्मण, नाई ठाकुर, पंडित नाई ब्राह्मण, वैध ब्राह्मण, सैन, सविता, नंद, नंदा राजवंश, नंदा क्षत्रिय इत्यादि नामो से जाना जाता है न्यायी से बना नाई, "नाई" शब्द की उतपति संस्कृत भाषा के नाय से मानी गयी है, जिसका अर्थ - नेतृत्व करने वाला अथार्थ वह जो समाज का नेतृत्व करे या न्यायी - न्याय करे !
 
उत्तपति
 
नाईयो की उत्तपति भगवान धनवंतरि द्वारा मानी जाति है धनवंतरि हिन्दु धर्म मे एक देवता है उन्होने ही आयुर्वेद का अविष्कार किया, वे महान चिकत्सक थे, ये भगवान विष्णु का ही अवतार है, इन्हे आयुर्वेद की चिकित्सा करने वाले वैध आरोग्य का देवता कहते है, इन्ही की तर्ज पर नाईयो को नाई ब्राह्मण, वैध ब्राह्मण आदि नामो से सम्बोधित किया जाता है, इनके वंश मे दिवोदास हुए जिन्होने "शलय" चिकित्सा का पहला विद्यालय काशी मे स्थापित किया, जिसके प्रधानचार्य सुश्रुत बनाये गए थे, इन्होने यह शिक्षा दिवोदास से ही सीखी थी ये नाईयो के पूर्वज थे !
 
इतिहास
 
नाई (न्यायी), नाई ब्राह्मण, नाई ठाकुर, वैध, धनवंतरि वैध नाई जाति एक हिन्दु और सिख जाति है,जो भारतीय उपमहद्वीप मे निवास करती है अलग-अलग राज्यो मे इन्हे अलग नामो से जाना जाता है, भारत मे ब्राह्मणो के साथ इन्हे भी सर्वोच्च हिन्दु जाति माना गया है, दक्षिण भारत मे इन्हे नाई ब्राह्मण, वैध, पंडित नाई ब्राह्मण, पंडितहर, वैद्यय नंदा, धनवंतरि नाई ब्राह्मण, नंदा राजवंशम, वैदिक ब्राह्मण आदि नामो से जाना जाता है, परन्तु उत्तर भारतीय नाईयो को क्षत्रिय वर्ण की चंद्रवंश शाखा के अंतर्गत है, जो वैदिक कालीन शाशक जाति है, इस जाति के अनेक महान सम्राट, राजा, मंत्री, राजदूत, अंगरक्षक, प्रसिद्ध वैध, पंडित विद्वान, ऋषि, संत महात्मा, योगी, आचार्य आदि श्रेष्ट व्यक्ति रहे है
 
राजवंश
 
नंद वंश लगभग 364 ईस्वी पूर्व से 324 ईस्वी पूर्व प्राचीन भारत का एक राजवंश था, जो नाई जाति से था, इस वंश के संस्थापक महापद्मनंद थे, इन्हे महापद्म एकराट पुराण मे कहा गया है सर्व क्षत्रांतक आदि उपाधियों से विभूषित किया गया है, जिन्होने पाँचवी - चौथी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तरी भारत के विशाल भाग पर शासन किया, भारतीय इतिहास मे पहली बार एक ऐसे साम्राज्य की स्थापना हुई जिसकी सीमाएं गंगा के मैदानों को लाँघ गयी, यह साम्राज्य वस्तुत: स्वंतन्त्र राज्यो या सामंतो का शिथिल संघ ना हो कर बाकि किसी शक्तिशाली राजा बल के समरूत नतमस्तक होते थे, ये एकराट की छत्रछाया मे अखंड राजतन्त्र था, जिनके पास अपार सैन्य बल, धनबल, जनबल था, चक्रवर्ती सम्राट महापद्मनंद ने निकटवर्ती सभी राजवंशो को जीतकर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की एवं केंद्रीय शासन व्यवस्था लागू की, इसलिए सम्राट महापद्मनंद को भारतीय राजनिति और केंद्रीय शासन पद्धदिति का जनक कहा जाता है !
 
पुराणो, मुद्रारक्षः, ब्राह्मण साहितियो, आदि ग्रंथो मे महापद्मनंद के दस उत्तराधिकारी और दो रानियां रानी अवंतिका और रानी मुरा बताये गए है,
 
रानी अवंतिका के नौ पुत्र जो इस प्रकार है 1. गगनपाल 2. पंडुक 3. पंडुगती 4. भूतपाल 5. राष्ट्रपाल 6. मोविषाडक 7. दशासिद्धक 8. कैवर्त 9. धनानंद
 
रानीमुरा का एक पुत्र जो चन्द्रनंद था जिसे चंदरगुप्त मौर्या के नाम से जाना जाता है
 
महापद्मनंद के बाद उनके पुत्र धनानंद राजा हुए, जो एक निर्दिए राजा साबित हुए इनकी विशवव्याख्ती के चलते सिकंदर जैसे राजा भी गंगा के मैदानों को ना लाँघ सके, जिनकी शक्ति और अपार सैन्य बल देख कर डर से सिकंदर भी भाग गया और आगे बढने की हिम्मत ना जुटा सका,
 
धनानंद ने विष्णुगुप्त (चाणक्य) को पीटकर सभा से इसलिए निकाल दिया की क्योकि बस चाणक्य धनानंद से पहले सिंह सिंहासन पर बैठ गया था इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता ह की वो कितना निर्दयी राजा था प्रजा मे असंतोष फैला कर और धनानंद के सौतेले भाई चंद्रनंद को भड़काकर धनानंद को धोखे से चंद्रनंद के हाथो मरवा कर, चंद्रनंद को राजा बनाया और चंद्रनंद को माँ मुरा के नाम पर मौर्या और अपने नाम विष्णुगुप्ता का गुप्त लगा कर चंद्रगुप्त मौर्या नाम दिया इसकी व्याख्या मुद्रारक्षास, विष्णु पुराण और ब्राह्मण साहित्य आदि ग्रंथो मे की गयी है, जैन और बौद्ध ग्रंथो मे इसे नए वंश आगमन बताया गया है इस मे ही आगे चल कर सम्राट अशोक जैसे महान राजा हुए !
 
संत महात्मा
 
नाई, नाई ब्राह्मण जाति मे बहुत से महान संत तथा योगी हुए है, इन्ही मे से एक थे संत शिरोमणि श्री सैन जी महाराज भकतमल के प्रसिद्ध टीकाकार पिर्यदास के अनुसार सैन महाराज का जन्म विक्रम संवत 1557 मे वैशाख कृष्ण -12 द्वादशी को दिन रविवार को तृत योग तुला लगन पूर्व भाद्रपक्ष को चंदन्यायी के घर बांधवगढ़ मे हुआ था, बचपन मे इनका नाम नंदा था, ये जाति से नाई थे आगे चलकर ये सैन महाराज के नाम से मशहूर हुए, इनकी भक्ति प्रेम देख कर स्वयं भगवान नारायण इन्ही के रूप मे राजा की सेवा करने आये थे क्योकि सैन जी महाराज भगवान नारायण की भगती मे लीन थे और वो राजा के यहां अपनी सेवा देना भूल गए थे इसी भगती प्रेम को देख कर भगवान नारायण स्वयंम आये थे इन्ही की तर्ज पर नाई जाति के लोग सैन कहलाने लगे
 
सती नारायणी माता
 
सती माँ नारायणी को नाई, नाई ब्राह्मण, सैन लोग इन्हे अपनी कुलदेवी और भगवान धनवंतरि को कुलदेवता के रूप मे पूजते है नारायणी माता भगवान शिव की पहली पत्नी सती का अवतार रूप मानी जाति है जो नाई ब्राह्मण समाज मे जन्मी थी इनका मंदिर राजस्थान के अलवर जिले से 80 किलोमीटर दूर और सरिस्का राष्टीय उद्यान के किनारे पहाड़ो मे इस्थित है
 
प्रसिद्ध नाई, नाई ब्राह्मण, सैन आदि
 
# सम्राट महापद्मनंद, धनानंद, चंद्रगुप्त मौर्या, सम्राट अशोक
# जीवाजी महाले शिवा जी महाराज के अंगरक्षक
# शिवा काशिद नाई जो शिवा जी महाराज की तरह ही दिखते थे जिन्होने शिवा जी महाराज की जान बजाने के लिए अपने प्राणो का योगदान दिया
# संत शिरोमणि सैन जी महाराज
# माता नारायणी
# भाई साहिब सिंह, गुरु गोविन्द सिंह जी के पांच प्यारो मे से एक थे
# बिज्जाना द्वितीय कलचुरी के प्रसिद्ध राजा, जिनके दरबार में बासवन मौजूद था
# कलचुरी के सभी शासकों ने उत्तर कर्नाटक पर शासन किया
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# गुलजारी लाल नंदा देश के पूर्व प्रधानमंत्री
# दयानिधि मारन केंद्रीय मंत्री संघठन भारत
# वीरपा मोइली मुख्यमंत्री कर्नाटक
# करूणकरण मुख्यमंत्री केरला
# कपूरी ठाकुर पूर्व मुख्य्मंत्री बिहार
# रामेश्वर ठाकुर गवर्नर कर्नाटक
# डॉ जी एथिराजुलू पहले योग्य ओर्थपेडीक सर्जन आंध्र प्रदेश आदि महान लोग है
 
==सन्दर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
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* {{cite EB1911|wstitle=Barber |volume=3 |short=x}}
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* [https://web.archive.org/web/20200616232334/http://penelope.uchicago.edu/Thayer/E/Roman/Texts/secondary/SMIGRA%2A/Barba.html ''Barba'': entry in William Smith's ''Dictionary of Greek and Roman Antiquities'']
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* [https://web.archive.org/web/20181030041226/https://www.bls.gov/oes/current/oes395011.htm ''नाई की सांख्यिकी'']
 
{{Authority control}}
"https://hi.wikipedia.org/wiki/नाई" से प्राप्त