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== 227 विधान सभा महरौनी ==
 
विजयराम आजाद बचपन से ही अद्भुत प्रतिभा के धनी रहें हैं। आपके दो भाई एक बहिन हैं आप सभी से छोटे हैं भाई बहिनो मैं बहिन सबसे बड़ी हैं, बहिन का नाम रामदेवी, भाई का नाम दयाराम आजाद हैं। आजाद के भाई भी पड़ने मैं बहुत तेज तर्रार हैं माता-पिता ने दोनों भाईयो की बुद्धिमता को देखते हुए महरौनी मैं रहने का निर्माण लिया और नाराहट रोड़ महरौनी मैं किराये पर कमरा लेकर रहने लगे और तीनों भाई बहिन का दाखिला आदर्श बाल विधा मन्दिर में करवा दिया जिसमे आप ने कक्षा 5 तक शिक्षा अध्यन किया और उसके बाद आप ने उसी के एक विधालय जो की टीकमगढ़ रोड़ पर बगिया बाले हनुमान जी के मन्दिर मैं कक्षा lkg से 8वी तक चलता था उसमें प्रवेश लिया और तीन बर्ष तक आपने उसमें अध्यन किया उसके बाद आप पड़ने के लिए ललितपुर चले गए जहाँ आप ने माँ सरस्वती ज्ञान मन्दिर में कक्षा 9वी मैं प्रवेश लिया और कक्षा 9वी वहाँ से करने के बाद आप ने 10वी मैं नवोदय विधालय मैं दाखिला लिया और बर्ष भर अध्यन किया परन्तु परमात्मा को कुछ और ही मंजूर था और परीक्षा के कुछ ही समय पहले आप बीमार हो गए जिससे आप 10वी की परीक्षा नहीं दे पाए आप ने हिम्मत नहीं हारी और आप राजकीय इंटर कॉलेज ललितपुर मैं दाखिला लिया और आप ने हाई स्कूल की परीक्षा उत्त्रीण की फिर इंटर किसान इंटर कॉलेज बिरधा से की और फिर आप शिक्षा अध्यन हेतु ओरछा चले गए जहां से आपने छात्र राजनीति में कदम रखा और आप ने महाकौशल प्रांत के शहडोल से अखिल भारतीय विधार्थी परिषद का वर्ग किया और आप सुमित मिश्रा ओरछा के सम्पर्क में आए और आप राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े और 15 जुलाई 2013 को आप को बजरंग दल औरछा का नगर संयोजक बनाया गया, 23 जुलाई 2013 को श्री चंद्रशेखर आजाद पार्क को चंद्रशेखर आजाद मन्दिर मैं तब्दील कर दिया गया। वही से चंद्रशेखर आजाद आप के प्रेरणा स्तोत्र बन गए और आप ने समाज के लिए कुछ कर ने का वीणा उठाया आप
बचपन मैं सभी के चहेते थे जिसके चलते आप को सभी बहुत प्यार करते थे, छोटे मैं आप बहुत मोटे और फुर्तिले थे इस लिए सभी इन्हे मोटू कहकर चिढ़ाते थे, इनका पेट बाहर की और काफी निकला था, यह बहुत ही सरार्थी थे एक बार इन्होंनो सरारत् मैं नदी के किनारे रखे अपने ट्रैक्टर का ब्रैक और गैर दोनो खोल दिये जिससे ट्रैक्टर नदी के अन्दर जाने लगा वैसे ही इनकी माता जी की दृष्टि इस दृश्य पर गई इनकी माता जी चीख पड़ी, चीख पुकार सुनकर इनके पिता जी दोड़ पड़े और नदी के अन्दर जैसे ही ट्रैक्टर पहुँचने वाला था पहुँच गए और तुरन्त ट्रैक्टर का ब्रैक लगा दिया, यह दृश्य विजयराम आजाद देख कर हँसने लगे जिस पर इनकी माता जी दोड़ पड़ी और आजाद को अपनी गोदी में उठा लिया, और इस प्रकार यह मौत के मुह में जाने से बच गए। [[सदस्य:विजयराम आजाद|विजयराम आजाद]] ([[सदस्य वार्ता:विजयराम आजाद|वार्ता]]) 13:52, 17 जुलाई 2020 (UTC)