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'''जैमिनि''' प्राचीन [[भारत]] के एक महान [[ऋषि]] थे। वे [[मीमांसा दर्शन|पूर्व मीमांसा]] के प्रवर्तक थे। वे [[वेदव्यास]] के शिष्य थे l ऋषि कि जन्म नेपाल की काली गण्डकी और टेेेऊले नदी की संगम स्थली तथा हाल की जैैैमिनि नगरपालिका के जैैैमिनि घाट में हूूआ था । आज भी वह धरोहर जैैैमिनि गुुुफा नाम से प्रसिद्ध है । थे।
 
 
== परिचय ==
जैमिनी [[वेदव्यास]] के शिष्य थे। [[महाभारत]] में लिखा है कि [[वेद]] का चार भागों में विस्तार करने के कारण 'वेदव्यास' (विस्तार) नाम पड़ा। इन्होंने जैमिनि को [[सामवेद संहिता|सामवेद]] की शिक्षा दी तथा महाभारत भी पढ़ाया-
: ''वेदानुध्यापयोमास महाभारतपंचनाम्। सुमंतु जैमिनि पैल शुकं चैव स्वमात्मजम् ॥''(महाभारत आदिपर्व 63189; महाधर -यजुर्वेदभाष्य, वाजसनेयि संहिता, आदि भाग)
 
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इन प्रसंगों से यह स्पष्ट हे कि जैमिनि वेदव्यास के समानकालिक ऋषि थे। वेदव्यास ने कौरवों और पांडवों को साक्षात् देखा था। (''कुरूणां पाण्डवानांश्च भवान् प्रत्यक्षदर्शिवान्'' -महा आदि 60 18) अतएव ये महाभारत के युद्ध-काल में रहे होंगे। विंटरनिट्ज के अनुसार महाभारत की रचना ईसा से पूर्व चौथी सदी में हुई होगी, किंतु भारतीय विद्वानों के अनुसार 3000 वर्ष ईसा से पूर्व ही महाभारत का समय हो सकता है। अतएव वेदव्यास का भी समय इसी के अनुसार निश्चय करना होगा।
 
[[पाणिनि]] ने अपनी [[अष्टाध्यायी]] में जिस भिक्षुसूत्र का उल्लेख किया है उसके रचयिता भी यही वेदव्यास हैं जिन्हें बादरायण व्यास भी हम कहते हैं और इसीलिये यह बादरायण सूत्र भी कहलाता है। पाणिनि के काल के संबंध में अनेक मत होते हुए भी गोल्डस्टरक, [[वासुदेव शरण अग्रवाल|वासुदेवशरण अग्रवाल]] आदि विद्वानों के अनुसार यह लगभग 6000 वर्ष ईसा से पूर्व रहे होंगे, ऐसा कहा जा सकता है।
 
सत्यव्रत समाश्रमी का कहना है कि जैमिनि निरुक्तकार [[यास्क]] के पूर्ववर्ती हैं। यास्क पाणिनि के पूर्ववर्ती हैं। सामाश्रमी ने [[यास्क]] को ईसा से पूर्व 19वीं सदी में माना है। ब्रह्मसूत्र में वेदव्यास ने जैमिनि का 11 बार उल्लेख किया है (1.3.38 : 1.2.31 : 1.3.31 : 1.4.18 : 3.2.40 : 3.4.2, 18, 40, 4.3.12 : 4.4.5, 11) आश्वलायन गृह्मसूत्र में भी जैमिनि का "आचार्य" नाम से उल्लेख किया गया है (3.18 (3) 1.1.5 : 5.2.19 : 6.1.8 : 10.8.44 : 11.1.64)। महाभारत का "अश्वमेधपर्व" तो जैमिनि के ही नाम से प्रसिद्ध है। इसी प्रकार जैमिनि ने अपने [[पूर्वमीमांसासूत्र]] में पाँच बार बादरायण के मत का, उनका नाम लेकर, उल्लेख किया है।
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== जैमिनि (ज्यौतिषी) ==
इन्होने [[ज्योतिष शास्त्र]] पर सूत्र रूप में एक ग्रंथ लिखा है। यह आयुर्विचार में विशेषज्ञ गिने जाते थे। [[काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय|काशी हिंदू विश्वविद्यालय]] के भूतपूर्व ज्यौतिषशास्त्राध्यापक रामयत्न ओझा ने इस ग्रंथ का प्रकाशन किया था। 'जैमिनीय सूत्र' नाम से यह ग्रंथ प्रसिद्ध है।
 
== सन्दर्भ ग्रन्थ ==