"वाल्मीकि जाति": अवतरणों में अंतर

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'''वाल्मीकि''' हिन्दू सनातन धर्म को मानने वाली एक जाति व [[दलित]]हिंदू समुदाय है। इनका पारम्परिक काम [[मल]]-मूत्र को साफयुद्ध करना और अन्य सफाई कार्य करना रहा है। वाल्मीकि समाज के अन्य नाम चूड़ाचूड़ाणि, भंगीभंगीया, मेहतर भारत के अलग अलग राज्यों में इन नामों से भी जाना जाता है।
 
[[पंजाब]] में बसे [[चूहड़ा]]मजहबी को भी इनका भाग माना जाता है जो [[सिख धर्म]] के अनुयायी हैं।<ref>{{cite book|title=The Oxford Handbook of Sikh Studies|date=2014|publisher=[[ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस]]|isbn=9780191004117|accessdate=2 फरवरी 2018|language=अंग्रेज़ी}}</ref> वाल्मीकि नाम ''[[वाल्मीकि]]'' से लिया गया है जिन्हें ये समुदाय अपना गुरू मानता है। वाल्मीकिहै।वाल्मीकि समुदाय के लोग भगवान वाल्मीकि जी को ईश्वर का अवतार मानते हैं तथा उनके द्वारा रचित श्रीमद [[वाल्मीकि रामायण|रामायण]] तथा [[योगवासिष्ठ]] को पवित्र ग्रन्थ मानते हैं।
 
इनका मूल नाम '''भंगी''' है जिसका अर्थ [[भांग]] पीने वाला होता है।{{sfn|Shyamlal|p=22|1992}} लेकिन ये अब अपमानजनक माना जाता है और इसका उपयोग सामाजिक रूप से सही नहीं माना जाता है। कुछ वाल्मीकि अपने को [[हरिजन]] कहलाना भी पसंद करते हैं।{{sfn|Shyamlal|p=25|1992}}
 
वाल्मीकि आज भी साफ सफाई का कार्य ही करते हैं और ये उनका रोजगार का मुख्य हिस्सा है। उनके कई सगंठन भी मौजूद है जो सरकारी नौकरी में इस कार्य में किसी और जाति के लोगों के आगमन का विरोध करते हैं।<ref>{{cite news|title=सफाईकर्मी पद पर वाल्मीकि समाज की हो भर्ती|url=https://www.jagran.com/uttar-pradesh/firozabad-14205333.html|accessdate=2 फरवरी 2018|date=24 जून 2016|publisher=दैनिक जागरण|archive-url=https://web.archive.org/web/20190621045839/https://www.jagran.com/uttar-pradesh/firozabad-14205333.html|archive-date=21 जून 2019|url-status=live}}</ref>