"टिहरी गढ़वाल जिला": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
छो →इतिहास |
||
पंक्ति 35:
ईस्ट इंडिया कंपनी ने फिर कुमाऊँ, देहरादून और पूर्व (ईस्ट) गढ़वाल को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दिया और पश्चिम गढ़वाल राजा सुदर्शन शाह को दे दिया जिसे तब टेहरी रियासत के नाम से जाना गया।
राजा सुदर्शन शाह ने अपनी राजधानी टिहरी या टेहरी शहर को बनाया, बाद में उनके उत्तराधिकारी प्रताप शाह, कीर्ति शाह और नरेन्द्र शाह ने इस राज्य की राजधानी क्रमशः प्रताप नगर, कीर्ति नगर और नरेन्द्र नगर स्थापित की। इन तीनों ने 1815 से सन् 1949 तक राज्य किया। तब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान यहाँ के लोगों ने भी काफी बढ चढ कर हिस्सा लिया। आजादी के बाद, लोगों के मन में भी राजाओं के शासन से मुक्त होने की इच्छा बलवती होने लगी। महाराजा के लिये भी अब राज करना मुश्किल होने लगा था। और फिर अंत में 60 वें राजा मानवेन्द्र शाह ने भारत के साथ एक हो जाना कबूल कर लिया। इस तरह सन् 1949 में टिहरी राज्य को उत्तर प्रदेश में मिलाकर इसी नाम का एक जिला बना दिया गया। बाद में 24 फरवी 1960 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी एक तहसील को अलग कर उत्तरकाशी नाम का एक ओर जिला बना दिया। ऐसे ही स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी के मदिर जहां रावण ने शिव की तपस्या की थी ओर स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी का निर्माण किया था जानने के लिए यहाँ क्लिक करें ।https://www.jmkinfo.in/2020/06/swarg-ki-dusari-sidhi.html
== पर्यटन स्थल ==
|