"मर्म चिकित्सा": अवतरणों में अंतर

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ईश्वर स्त्री सत्तात्मक है अथवा पुरुष सत्तात्मक यह कहना सम्भव नहीं है परन्तु ईश्वर हम सभी से माता-पिता के समान प्रेम करता है। ईश्वर ने वह सभी वस्तुए हमें प्रदान की हैं जो कि हमारे अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं। ईश्वर ने हमें असीमित क्षमताएं प्रदान की हैं जिससे हम अनेक भौतिक और आध्यात्मिक शक्तियों को प्राप्त कर सकते हैं। स्व-रोग निवारण क्षमता इन्हीं व्शक्तियों में से एक है जिसके द्वारा प्रत्येक मनुष्य शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रह सकता है।
 
विज्ञान के द्वारा भौतिक जगत के रहस्यों को ही समझा जा सकता है जबकि दर्शन के द्वारा भौतिक जगत के वास्तविक रहस्य के साथ-साथ उसके आध्यात्मिक पक्ष को समझने में भी सहायता मिलती है। वैदिक चिकित्सा पद्धति, विज्ञान और दर्शन के मिले-जुले स्वरूप से अधिक बढ़कर है। ईश्वर ने अपनी इच्छा की प्रतिपूर्ति के लिए इस संसार की उत्पत्ति की है तथा उसने ही अपनी अपरिमित आकांक्षा के वशीभूत मनुष्य को असीम क्षमताआें से सुसम्पन्न कर पैदा किया है। दु:ख एवं कष्ट रहित स्वस्थ जीवन इस क्षमता का परिणाम है। मनुष्य शरीर में स्थित ईश्वर-प्रदत्त स्वरोग निवारण क्षमता हमारी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है वरन्‌ मनुष्य शरीर में ईश्वरीय गुणों की उपस्थिति का ही द्योतक है। सार रूप में यह जानना अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि ईश्वर का पुत्र होने के कारण मनुष्य समस्त ईश्वरीय गुणों और क्षमताओं से सुसम्पन्न है। वैज्ञानिक विवेचना और धार्मिक आध्यात्मिक अभ्यास के समन्वय एवं व्यक्तिगत अनुभवों को समवेत रूप में प्रस्तुत कर मर्म विज्ञान का अध्ययन एवं वैज्ञानिक विश्लेषण किया जा सकता है।है।प्रबुद्ध सोसाइटी एवं आध्यात्मिक परिषद् नेचुआ जलालपुर गोपालगंज बिहार मर्म के प्रचार ,प्रसार एवं प्रशिक्षण कार्य में संलग्न है ।
 
==इन्हें भी देखें==