"सोमनाथ मन्दिर": अवतरणों में अंतर
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'''सोमनाथ मन्दिर''' भूमंडल में दक्षिण एशिया स्थित [[भारत]]वर्ष के पश्चिमी छोर पर [[गुजरात]] नामक प्रदेश स्थित, अत्यन्त प्राचीन व ऐतिहासिक [[सूर्य मन्दिर]] का नाम है। यह भारतीय इतिहास तथा हिन्दुओं के चुनिन्दा और महत्वपूर्ण मन्दिरों में से एक है। इसे आज भी भारत के १२ [[ज्योतिर्लिंग|ज्योतिर्लिंगों]] में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना व जाना जाता है। [[गुजरात]] के [[सौराष्ट्र]] क्षेत्र के [[वेरावल]] बंदरगाह में स्थित इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख [[ऋग्वेद]] में स्पष्ट है।
यह मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया। वर्तमान भवन के पुनर्निर्माण का आरंभ भारत की स्वतंत्रता के पश्चात् लौहपुरुष [[सरदार वल्लभ भाई पटेल]] ने करवाया और पहली दिसंबर
सोमनाथजी के मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है। सरकार ने ट्रस्ट को जमीन, बाग-बगीचे देकर आय का प्रबन्ध किया है। यह तीर्थ पितृगणों के [[श्राद्ध]], नारायण बलि आदि कर्मो के लिए भी प्रसिद्ध है। [[चैत्र]], [[भाद्रपद]], [[कार्तिक]] माह में यहां श्राद्ध करने का विशेष महत्व बताया गया है। इन तीन महीनों में यहां श्रद्धालुओं की बडी भीड़ लगती है। इसके अलावा यहां तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम होता है। इस त्रिवेणी स्नान का विशेष महत्व है।
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