"कर्मचारी भविष्य निधि": अवतरणों में अंतर
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कोई भी सेवारत व्यक्ति सेवानिवृत्ति उपरांत के जीवन को [[वित्त|वित्तीय]] सुरक्षा प्रदान करना चाहता है। इसमें उसके लिये '''कर्मचारी भविष्य निधि''' यानि '''[[कर्मचारी भविष्य निधि|ईपीएफ]]''' यानी सहायक होते हैं। अधिकतर कर्मचारियों के लिए यह अनैच्छिक बचत होती है, किन्तु [[सेवानिवृत्ति]] या [[असामयिक मृत्यु]] या [[निर्योग्यता|अपंगता]] की स्थिति में कर्मचारी और उसके के परिवार के लिये ये अत्यंत लाभदायक होते हैं।<ref name="हिन्दुस्तान">[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/mantra/67-76-119593.html ईपीएफ] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20100605095941/http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/mantra/67-76-119593.html |date=5 जून 2010 }}। हिन्दुस्तान लाइव। २७ मई २०१०</ref> इस निधि में कर्मचारी के मासिक वेतन से कुछ अंश (मूल वेतन का १२.५ प्रतिशत) स्रोत पर ही काट कर जमा कर लिया जाता है। इसके बराबर की ही राशि नियुक्तिकर्ता द्वारा भी जमा कराई जाती है और उस पर ८.५ प्रतिशत (फिल्हाल<ref>[http://thatshindi.oneindia.in/news/2009/02/22/1235258775.html कर्मचारी भविष्य निधि पर 8.5 प्रतिशत ब्याज दर निर्धारित]{{Dead link|date=जून 2020 |bot=InternetArchiveBot }}। दैट्स हिन्दी। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस। २१ फ़रवरी २००९</ref>) की दर से मिलने वाला ब्याज भी मिलता है। उदाहरण के लिए यदि कर्मचारी की आयु २५ वर्ष है और उसका तत्कालीन वेतन २० हजार रुपये है। तब यह मानकर चलें कि ईपीएफ में ८.५ प्रतिशत की दर से ब्याज मिलता है और हर वर्ष उसके वेतन में ५ प्रतिशत की बचत होती है। ऐसे में यदि वह हर माह अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का १२ प्रतिशत ईपीएफ में जमा कराता हैं और उतनी ही राशि उसके नियोक्ता द्वारा भी जमा कराई जाती है, तो सेवानिवृत्ति पर उसको १.३८ करोड़ रुपये की अद्भुत राशि मिलेगी। निधि में जमा होने वाली राशि मासिक रूप से कर्मचारी के वेतन से काटकर उसमें नियोक्ता का अंश (१२.५ %) मिलाकर उसे में जमा कराया जाता है।
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कभी स्थानांतरण या नौकरी बदलने की स्थिति में अगले नियोक्ता मासिक राशि को [[कर्मचारी भविष्य निधि संगठन]] में नियमित जमा कराते हैं। भारत में संगठन का कार्यालय [[नई दिल्ली]] में स्थित है। निधि की सदस्यता के लिए अर्हक होने के लिए कामगार को एक वर्ष की लगातार सेवा पूरी करनी होती है और उसे १२ माहों की अवधि के दौरान २४० दिन कार्य कर लिया होना चाहिए।<ref name="पोर्टल">[http://business.gov.in/hindi/manage_business/provident_fund.php भविष्य निधि] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20101212122946/http://business.gov.in/hindi/manage_business/provident_fund.php |date=12 दिसंबर 2010 }}। भारत सरकार का आधिकारिक पोर्टल।</ref> कर्मचारियों को मूल वेतन, महंगाई भत्ता और अपने पास रखने के भत्तों की निश्चित दर अंशदान करना होता है। इसी प्रकार नियोक्ताओं को भी उसी दर पर अंशदान करना होता है। हालांकि वर्तमान स्वरूप में ईपीएफ का नकद और ट्रांसफर दो स्तर पर नुकसानदायक हो सकता है। नियम के अनुसार सेवानिवृत्ति के समय, चिकित्सकीय आवश्यकता या दो माह बेरोजगार रहने की स्थिति में कर्मचारी भविष्य निधि में से राशि निकाल सकते हैं। अधिकतर लोग अपनी पिछली नौकरी छोड़ने के दो माह बाद भविष्य निधि राशि को नए खाते में स्थानांतरित करने के स्थान पर उसमें सहेजी राशि वापस निकलवा लेते हैं। नई कंपनी में उन्हें नया भविष्य निधि खाता मिल जाता है।<ref name="हिन्दुस्तान"/> इस प्रकार एक बड़ी राशि मिल जाती है, जो काफी काम में सहायक हो सकती है, किन्तु इससे सेवानिवृत्ति के समय मिलने वाली कुल राशि में उतनी राशि व सेवानिवृत्ति तक के समय तक उस राशि पर मिलने वाले ब्याज की राशि कम हो जाती है। अतएव ईपीएफ राशि निकलवाने की जगह उसे नए खाते में स्थानांतरित कराना अधिक उपयुक्त होता है।
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