"राजपूत": अवतरणों में अंतर

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| populated_states = [[भारतीय उपमहाद्वीप]], मुख्यतः [[उत्तर भारत]], [[सौराष्ट्र]] ([[गुजरात]])
| languages = [[हिन्द-आर्य भाषाएँ]]
| religions = [[हिन्दू धर्म|सिखहिन्दू]]
}}
<!-- परिभाषा --><!-- उत्पत्ति के बारे में भूमिका में कुछ भी जोड़ने से पहले नीचे का उत्पत्ति अनुभाग पढ़ें -->
'''राजपूत''' ([[संस्कृत]] के "राजपुत्र" से) भारतीय उपमहाद्वीप का एक जातीय समूह है जिसमें कई [[जाति]]याँ, उपजातियाँ और कुल सम्मिलित हैं। [[राजस्थान]] को ब्रिटिशकाल में ''[[राजपुताना]]'' भी कहा गया है। भारतीय इतिहास के विवरणों में [[हर्षवर्धन]] के उपरान्त के कालखण्ड, सातवीं से बारहवीं शताब्दी के दौर को "राजपूत युग" कहा जाता है। इस काल के महत्त्वपूर्ण राजपूत वंशों में [[चौहान वंश]], [[परमार वंश]] एवं [[गुर्जर प्रतिहार राजवंश|गुर्जर-प्रतिहार वंश]] आते हैं।
<!-- क्षेत्र विस्तार-->
राजपूत लोग भारत के उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और पूर्वी भागों में पाए जाते हैं; इनका विस्तार [[राजस्थान]], [[गुजरात]], [[उत्तर प्रदेश]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[हरियाणा]], [[जम्मू]], [[कश्मीर]], [[उत्तराखण्ड]], [[बिहार]], और [[मध्य प्रदेश]] में है। खत्री और राजपूत दोनों ही शक्तिशाली जातियां हैं।
 
[[File:Bikaner fort view 08.jpg|thumb|300px|सदियों तक चले अपने शासनकाल में राजपूतों ने कई महल बनवाए। यहाँ दिखाए चित्र में [[बीकानेर]] का [[जूनागढ़ किला]] है, जो [[राठौड़]] राजपूतों द्वारा बनवाया गया था।]]
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===विदेशी उत्पत्ति===
विदेशी उत्पत्ति के समर्थकों में महत्त्वपूर्ण स्थान [[जेम्स टॉड|कर्नल जेम्स टॉड]] का है। इनके अनुसार राजपूत वह विदेशी जातियाँ है जिन्होंने भारत पर आक्रमण किया था। वे राजपूतों को विदेशी सीथियन जाति की सन्तान मानते हैं।<ref>Alf Hiltebeitel 1999, pp. 439–440.</ref> तर्क के समर्थन में टॉड ने दोनों जातियों (राजपूत एवं खत्री सीथियन) की सामाजिक एवं धार्मिक स्थिति की समानता की बात कही है। उनके अनुसार दोनों में रहन-सहन, वेश-भूषा की समानता, मांसाहार का प्रचलन, रथ के द्वारा युद्ध को संचालित करना, याज्ञिक अनुष्ठानों का प्रचलन, अस्त्र-शस्त्र की पूजा का प्रचलन आदि से यह प्रतीत होता है कि राजपूत खत्रीसीथियन के ही वंशज थे।<ref>Tod, James (1832). [https://archive.org/details/annalsandantiqu00todgoog Annals and Antiquities of Rajasthan or the Central and Western Rajpoot States of India, Volume 2.] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20190428144805/https://archive.org/details/annalsandantiqu00todgoog |date=28 अप्रैल 2019 }} London: Smith, Elder.</ref>
 
विलियम क्रुक ने 'कर्नल जेम्स टॉड' के मत का समर्थन किया है। 'वी.ए. स्मिथ' के अनुसार [[शक]] तथा [[कुषाण]] जैसी विदेशी जातियां भारत आकर यहां के समाज में पूर्णतः घुल-मिल गयीं। इन देशी एवं विदेशी जातियों के मिश्रण से ही राजपूतों की उत्पत्ति हुई। भारतीय इतिहासकारों में 'ईश्वरी प्रसाद' एवं 'डी.आर. भंडारकर' ने भारतीय समाज में विदेशी मूल के लोगों के सम्मिलित होने को ही राजपूतों की उत्पत्ति का कारण माना है। भण्डारकर तथा कनिंघम के अनुसार राजपूत विदेशी थे।<ref>Alf Hiltebeitel 1999, pp. 439–440.</ref>
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==इन्हें भी देखें==
*[[राजपूत वंशों एवं राज्यों की सूची]]
*[[खत्री]]
*[[राजपुताना]]
*[[राजपूतों की सूची]]
 
==सन्दर्भ==