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भुर्जी कायस्थों को "जादव कायस्थ "कहा जाता है इसका प्रमाण 80वर्ष पुर्व बम्बई से प्रकाशित "जाति भास्कर" पुस्तक 'कायस्थ सहिंता चेप्टर' मे पृष्ठ न0 487 पर छपा है । दुसरा प्रमाण ' विलियम्स क्रुक'अंग्रेजी लेखक-की पुस्तक "इंडियन कास्ट" मैं पृष्ठ न0 113 पर लिखा है जिसकी व्याख्या स्वामी सहजानन्द ने की है जिनमे लिखा हैं कि उत्तर भारत में भड़बुजों में सक्सेना, भटनागर, श्रीवास्तव, भुज आदि उपनाम लगाते हैं इन्हें "जादव कायस्थ" कहा जाता है, सम्भवतः इसी लिए हमारा सबसे प्रचलित गोत्र जगजादव हे