"राहुल देव बर्मन": अवतरणों में अंतर
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== जीवन वृत्त ==
राहुल [[कोलकाता]] में [[ कायस्थ ]] जन्मे थे। कहा जाता है बचपन में जब ये रोते थे तो पंचम सुर की ध्वनि सुनाई देती थी, जिसके चलते इन्हें पंचम कह कर पुकारा गया। कुछ लोगों के मुताबिक अभिनेता [[अशोक कुमार (अभिनेता)|अशोक कुमार]] ने जब पंचम को छोटी उम्र में रोते हुए सुना तो कहा कि 'ये पंचम में रोता है' तब से उन्हें पंचम कहा जाने लगा। इन्होने अपनी शुरूआती शिक्षा बालीगंज गवर्नमेंट हाई स्कूल कोलकत्ता से ली। बाद में उस्ताद [[अली अक़बर ख़ाँ|अली अकबर खान]] से सरोद भी सीखा।
इनके पिता सचिन देव बर्मन, जो खुद हिन्दी सिनेमा के बड़े संगीतकार थे, ने बचपन से ही आर डी वर्मन को संगीत की दांव-पेंच सिखाना शुरु कर दिया था। राहुल देव बर्मन ने शुरुआती दौर की शिक्षा बालीगुंगे सरकारी हाई स्कूल, कोलकाता से प्राप्त की। केवल नौ बरस की उम्र में उन्होंने अपना पहला संगीत ”ऐ मेरी टोपी पलट के” को दिया, जिसे फिल्म “फ़ंटूश” में उनके पिता ने इस्तेमाल किया। छोटी सी उम्र में पंचम दा ने “सर जो तेरा चकराये …” की धुन तैयार कर लिया जिसे [[गुरुदत्त]] की फ़िल्म “प्यासा” में ले लिया गया।
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