"बकरीद": अवतरणों में अंतर
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{{इस्लामी संस्कृति}}
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इस शब्द का बकरों से कोई संबंध नहीं है। न ही यह उर्दू का शब्द है। असल में अरबी में 'बक़र' का अर्थ है बड़ा जानवर जो जि़बह किया (काटा) जाता है। उसी से बिगड़कर आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में इसे 'बकरा ईद' बोलते हैं। ईद-ए-कुर्बां का मतलब है बलिदान की भावना। अरबी में 'क़र्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं मतलब इस मौके पर अल्लाह् इंसान के बहुत करीब हो जाता है। कुर्बानी उस पशु के जि़बह करने को कहते हैं जिसे 10, 11, 12 या 13 जि़लहिज्ज (हज का महीना) को खुदा को खुश करने के लिए ज़िबिह किया जाता है। कुरान में लिखा है : हमने तुम्हें हौज़-ए-क़ौसा दिया तो तुम अपने अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो।<br /><ref>{{Cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/other/sunday-nbt/special-story/-/articleshow/10627860.cms |title=संग्रहीत प्रति |access-date=28 सितंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150928124452/http://navbharattimes.indiatimes.com/other/sunday-nbt/special-story/-/articleshow/10627860.cms |archive-date=28 सितंबर 2015 |url-status=live }}</ref>
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