"झारखण्ड का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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== प्राचीन इतिहास ==
झारखंड के कुछ स्थानों में जीवाश्म के कुछ अंश उन कलाकृतियों की ओर इशारा करते हैं जिससे यह पता चलता है कि छोटानागपुर क्षेत्र में होमो इरेकटस से होमो सिपियंस जाति में बदलाव को दर्शाता है। यहाँ पत्थर और अन्य उपकरण <ref>{{Cite web |url=http://www.incrediblejharkhand.com/ |title=संग्रहीत प्रति |access-date=12 दिसंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20151208121235/http://www.incrediblejharkhand.com/ |archive-date=8 दिसंबर 2015 |url-status=live }}</ref>, सभ्यताओं के प्रारंभिक वर्षों से 3000 से अधिक वर्ष पहले के हैं। 6 या 7 वीं शताब्दी ई.पू. के -- महाकाव्य महाभारत युग के " कीकट " प्रदेश का उल्लेख ऋग्वेद में है जो पारसनाथ की पहाड़ियों में गिरिडीह जिले में, झारखंड में है।
 
'''[https://www.jharkhandjobportal.com/2020/03/history-of-jharkhand-in-hindi.html झारखण्ड का प्राचीन इतिहास]''' को तीन युगो में बांटा गया है -
 
'''1. पुरापाषाण काल, 2. मध्य पाषाण काल, 3. नवपाषाण काल।'''
 
यहाँ का समृद्ध, सभ्य अस्तित्व, मानव समाज और उनके सांस्कृतिक तरीके, गुफाओं में जीवित रहने के तरीके, स्मारक, चट्टानी कला में आश्रयों (पेट्रोग्राफ) के रहस्य जानना तो अभी तक शेष है।