"अनुभूति": अवतरणों में अंतर
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'''अनुभूति''' (Feeling) किसी एहसास को कहते हैं। यह शारीरिक रूप से स्पर्श, दृष्टि, सुनने या गन्ध सूंघने से हो सकती है या फिर विचारों से पैदा होने वाली भावनाओं से उत्पन्न हो सकती है।<ref>Hochschild, Arlie (1979). "[https://campus.fsu.edu/bbcswebdav/institution/academic/social_sciences/sociology/Reading%20Lists/Social%20Psych%20Prelim%20Readings/II.%20Emotions/1979%20Hochschild%20-%20Emotion%20Work.pdf Emotion Work, Feeling Rules, and Social Structure] {{Webarchive|url=https://web.archive.org/web/20161006085954/https://www.jstor.org/stable/2778583 |date=6 अक्तूबर 2016 }}" (PDF). American Journal of Sociology.</ref>
संस्कृत मैं 'अनुभूति', 'अनुभव' का समानार्थी है। इसका अभिप्राय है साक्षात, प्रत्यक्ष ज्ञान या निरीक्षण और प्रयोग से प्राप्त ज्ञान [[हिंदी]] में [[छायावाद]] काल नया सब नया अर्थ में प्रयुक्त होकर समीक्षात्मक [[प्रतिमान]] के रूप में स्थापित हुआ। छायावाद की वैयक्तिकता का सीधा संबंध अनुभूति से है। अनुभूति में जो सुख-दुखात्म बोध होता है वह तीखा और बहुत कुछ निजी होता है। [[भाव]] से यह भिन्न है। इस शब्द को शास्त्रीय गरिमा से मंडित करने का श्रेय [[आचार्य रामचंद्र शुक्ल]] को है।
छायावाद काल के आरंभ अर्थात 1915 ई में ही शुक्ल जी ने [[नागरी प्रचारिणी पत्रिका]] में एक निबंध लिखा था- भाव या मनोविकार। इसमें उन्होंने अनुभूति को [[सहजात]] कहा है।
== इन्हें भी देखें ==
* [[अवगम|बोध]]
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