"अनुभूति": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 6:
https://archive.org/download/in.ernet.dli.2015.539047/2015.539047.Chintamani-Bhag.pdf</ref> अचार्य शुक्ल [[रति]], [[उत्साह]] आदि को [[मन]] की सुखात्मक अनुभूति और [[क्रोध]], [[भय]], [[शोक]] आदि विकारों को मन की दुखात्मक अनुभूति के रूप में स्वीकार करते हैं।
जहां तक [[कविता]] का संबंध है इस क्षेत्र में अनुभूति शब्द का व्यापक प्रयोग किया जाता है भावानुभूति, रसानुभूति, लौकिक अनुभूति, अलौकिक अनुभूति, प्रत्यक्षानुभूति, समानानुभूति, रहस्यानुभूति, काव्यानुभूति आदि अनेक रूपों में इसका प्रयोग मिलता है। [[क्रोचे]] तो अनुभूति को शरीर के योगक्षेम से संबंधित भीतरी क्रिया मानते हैं इसलिए इसे सुखदायक-दुखदायक, उपयोगी-अनुपयोगी, लाभकारी-हानिकारी दो पशुओं को आवश्यक माना जाता है।
== इन्हें भी देखें ==
* [[अवगम|बोध]]
|