"नामदेव": अवतरणों में अंतर

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'''नामदेव''' [[भारत]] के प्रसिद्ध संत थे। इनके समय में [[नाथ सम्प्रदाय|नाथ]] और [[महानुभाव सम्रदाय|महानुभाव]] पंथों का [[महाराष्ट्र]] में प्रचार था।
 
भक्त नामदेव महाराज का जन्म २६ अकटुबर १२७० (शके ११९२) में [[महाराष्ट्र]] के [[सतारा जिला|सतारा जिले]] में [[कृष्णा नदी]] के किनारे बसे नरसीबामणी नामक गाँव में एक [[शिंपी]] जिसे छीपा भी कहते है के परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दामाशेट और माता का नाम गोणाई देवी था। इनका परिवार भगवान [[विट्ठल]] का परम भक्त था। नामदेव का [[विवाह]] राजाईराधाबाई के साथ हुआ था और इनके पुत्र का नाम नारायण था।
 
संत नामदेव ने विसोबा खेचर को गुरु के रूप में स्वीकार किया था। ये [[ज्ञानेश्वर|संत ज्ञानेश्वर]] के समकालीन थे और उम्र में उनसे ५ साल बड़े थे। संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर के साथ पूरे महाराष्ट्र का भ्रमण किए, भक्ति-गीत रचे और जनता जनार्दन को समता और प्रभु-भक्ति का पाठ पढ़ाया। संत ज्ञानेश्वर के परलोकगमन के बाद इन्होंने पूरे भारत का भ्रमण किया। इन्होंने [[मराठी भाषा|मराठी]] के साथ ही साथ [[हिन्दी]] में भी रचनाएँ लिखीं। इन्होंने अठारह वर्षो तक [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] में भगवन्नाम का प्रचार किया। अभी भी इनकी कुछ रचनाएँ [[सिख|सिक्खों]] की धार्मिक पुस्तकों में मिलती हैं। '''मुखबानी''' नामक पुस्तक में इनकी रचनाएँ संग्रहित हैं। आज भी इनके रचित गीत पूरे महाराष्ट्र में भक्ति और प्रेम के साथ गाए जाते हैं। ये संवत १४०७ में समाधि में लीन हो गए।