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अंगिका कविता
<nowiki>[[शिवपुर लौंगाय]]</nowiki>
 
मानय छय कि हमरो भाषा कुछ ज्यादह प्रचीन छै
''यह प्रचीन नाम <nowiki> [[मालिनी]] </nowiki> और आधुनिक नाम <nowiki> [[मुंगेर]] </nowiki> जिला के एक छोटा सा <nowiki> [[गाँव ]]</nowiki> है यह गाँव बहुत ही सुन्दर है यहाँ एक बहुत ही प्रचीन <nowiki> [[ काली]] </nowiki> मंदिर है''
 
तो किह करीय छोड़ी थोड़े ना देवः मदर भाषा छै ना।
 
 
दुनिया समय के अनुसार चलय छह
 
और हमा बिहारी छिया अपने अकङ/ ज़िद के अनुसार चलय छियह
 
चाहे मौर्य साम्राज्य के सर पर झेत्र बढ़ाबे के धुन सवार छैला।
 
या मांझी के पहाड़ तोड़य के।।
 
चाणक्य सा बुद्धिकार छै
 
अशोक सा बौद्ध प्रचार छै।
 
नालंदा का शिक्षाकार छै।।
 
दिनकर सा शब्दधार छै।
 
जयप्रकाश की पुकार छै।।
 
गौरव गाथा का संसार छै।
 
यहीं तो अपना बिहार छै।।