रितिक राज
रितिक राज 25 जुलाई 2020 से सदस्य हैं
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अंगिका कविता
मानय छय कि हमरो भाषा कुछ ज्यादह प्रचीन छै
तो किह करीय छोड़ी थोड़े ना देवः मदर भाषा छै ना।
दुनिया समय के अनुसार चलय छह
और हमा बिहारी छिया अपने अकङ/ ज़िद के अनुसार चलय छियह
चाहे मौर्य साम्राज्य के सर पर झेत्र बढ़ाबे के धुन सवार छैला।
या मांझी के पहाड़ तोड़य के।।
चाणक्य सा बुद्धिकार छै
अशोक सा बौद्ध प्रचार छै।
नालंदा का शिक्षाकार छै।।
दिनकर सा शब्दधार छै।
जयप्रकाश की पुकार छै।।
गौरव गाथा का संसार छै।
यहीं तो अपना बिहार छै।।
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