"गणेश": अवतरणों में अंतर

शुद्धिकरण और इन्टरलिंक
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== ज्योतिष के अनुसार ==
ज्योतिष्शास्त्र के अनुसार गणेशजी को केतु के रूप में जाना जाता है,है। केतु एक छाया ग्रह है, जो राहु नामक छाया ग्रह से हमेशा विरोध में रहता है, बिना विरोध के ज्ञान नहीं आता है और बिना ज्ञान के मुक्ति नहीं है,है। गणेशजी को मानने वालों का मुख्य प्रयोजन उनको सर्वत्र देखना है, गणेश अगर साधन है तो संसार के प्रत्येक कण में वह विद्यमान है। उदाहरण के लिये तो जो साधन है वही गणेश है, जीवन को चलाने के लिये अनाज की आवश्यकता होती है, जीवन को चलाने का साधन अनाज है, तो अनाज गणेश है,है। अनाज को पैदा करने के लिये किसान की आवश्यकता होती है, तो किसान गणेश है,है। किसान को अनाज बोने और निकालने के लिये बैलों की आवश्यक्ता होती है तो बैल भी गणेश है,है। अनाज बोने के लिये खेत की आवश्यक्ता होती है, तो खेत गणेश है,है। अनाज को रखने के लिये भण्डारण स्थान की आवश्यक्ता होती है तो भण्डारण का स्थान भी गणेश है,है। अनाज के घर में आने के बाद उसे पीस कर चक्की की आवश्यक्ता होती है तो चक्की भी गणेश है,है। चक्की से निकालकर रोटी बनाने के लिये तवे, चीमटे और रोटी बनाने वाले की आवश्यक्ता होती है, तो यह सभी गणेश है,है। खाने के लिये हाथों की आवश्यक्ता होती है, तो हाथ भी गणेश है,है। मुँह में खाने के लिये दाँतों की आवश्यक्ता होती है, तो दाँत भी गणेश है,है। कहने के लिये जो भी साधन जीवन में प्रयोग किये जाते वे सभी गणेश है, अकेले शंकर पार्वते के पुत्र और देवता ही नही।
 
== दीर्घा ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/गणेश" से प्राप्त