"दक्ष प्रजापति": अवतरणों में अंतर

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दक्ष का अहंकार
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दक्ष प्रजापति को अन्य प्रजापतियों के समान ब्रह्माजी ने अपने मानस पुत्र के रूप में उत्पन्न किया था। दक्ष प्रजापति का विवाह मनु स्वायम्भुव मनु की तृतीय कन्या प्रसूति के साथ हुआ था। दक्ष राजाओं के देवता थे। दक्ष ने पृथ्वी पर यज्ञ संस्कृति आदि रीति नियम बनाए थे वे विष्णु के परम भक्त थे पर शिव से द्वेष करते थे क्यों की भगवान शिव दक्ष के नियमों का पालन नहीं किया करते थे वे तो वैरागी थे श्मशान में मदिरा पान करते थे और वहां की राख अपने शरीर पर मलते थे और पिशाचों के साथ क्रीडा करते हुए मानुष मुंड माल धारण करते थे और यहीं नहीं शिव ने ब्रह्मा का पाचवा शीश काल भैरव द्वारा कटवाया था और उनकी पूजा बंद करवाई थी इसी कारण दक्ष शिव के कट्टर शत्रु थे शिव पुराण के अनुसार दक्ष को जब बकरे का सिर प्राप्त होता है तब बाद में वह अपनी पत्नी प्रसूति के साथ काशी में महामृत्युंजय का मंत्र जप ते हुए प्रायश्चित करते है जब माता पार्वती का विवाह शिवजी से संपन्न होता है तब उनकी बारात कैलाश जाती है उस समय माता पार्वती भगवान शिव से आग्रह करती है कि काशी चलिए फिर वह दोनों काशी जाते हैं पार्वती वहां पर अपने पिछले जन्म के माता-पिता दक्ष प्रजापति और प्रसूति को मिलती है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती है अपने पिछले जन्म के ऋण मुक्ति के लिए वह महादेव से प्रार्थना करती हैं कि मेरे माता-पिता को क्षमा कर दीजिए पार्वती की बात मानकर शिवजी प्रजापति दक्ष को उनका पूर्वमनुष्य मुख दे देते हैं फिर प्रस्तुति माता पार्वती को शिव समेत दारुकवान जाने का आग्रह करती हैं फिर शिव पार्वती के साथ दारुकवन जाते हैं फिर शिव वहां के साधुओं का घमंड तोड़ कर कैलाश जाते हैं
 
== सन्तान तथा उनके विवाह ==