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संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा
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===बांग्लादेश===
अनुच्छेद 343. संघ की राजभाषा
[[बांग्लादेश]] के लोगों ने केवल [[बंगाली भाषा]] को ही अपने देश की एक मात्र राष्ट्र भाषा के रूप में अपनाया है।
(1) संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा। हालांकि भारत के संविधान में अभी तक राष्ट्रभाषा का उल्लेख नहीं किया गया है I लेकिन विभिन्न संविधानिक प्रावधान को देखते हुए हिंदी को भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार्य किया जाता है तथा हिंदी ही एकमात्र भारत की राष्ट्रभाषा बन सकती है I साथ ही संयुक्त राष्ट्र संघ की भी एक आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी को मान्यता दिलाने का प्रयास किया जा रहा है I
 
===[[भारत]] ===
(6)[[भारत का अनुच्छेदसंविधान|भारतीय 343संविधान]] में किसी बातभी भाषा को राष्ट्र भाषा के होतेरूप हुएमें भी,नहीं राष्ट्रपतिमाना खंडगया (5)है।<ref>{{cite मेंweb|url=https://www.firstpost.com/india/why-hindi-isnt-the-national-language-6733241.html|title=Why निर्दिष्टHindi प्रतिवेदनisn't परthe विचारnational करनेlanguage|access-date=3 केजून पश्चात्‌2019|archive-url=https://web.archive.org/web/20190603135908/https://www.firstpost.com/india/why-hindi-isnt-the-national-language-6733241.html|archive-date=3 उसजून संपूर्ण2019|url-status=live}}</ref> प्रतिवेदनसरकार ने 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है। जिसमें [[केन्द्र सरकार]] या उसकेराज्य किसीसरकार भागअपने जगह के अनुसार निदेशकिसी भी भाषा को [[भारत की आधिकारिक भाषाएँ|आधिकारिक भाषा]] के रूप में चुन सकती है। केन्द्र सरकार ने अपने कार्यों के लिए [[हिन्दी]]<ref>{{Cite web |url=https://aajtak.intoday.in/story/hindi-is-not-indian-national-language-1-741940.html |title=संग्रहीत प्रति |access-date=6 मार्च 2018 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180306142844/https://aajtak.intoday.in/story/hindi-is-not-indian-national-language-1-741940.html |archive-date=6 मार्च 2018 |url-status=live दे}}</ref> सकेगा।और [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेजी भाषा]] को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है। इसके अलावा अलग अलग राज्यों में स्थानीय भाषा के अनुसार भी अलग अलग आधिकारिक भाषाओं को चुना गया है। फिलहाल 22 आधिकारिक भाषाओं में [[असमिया भाषा|असमी]], [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], [[कोंकणी भाषा|कोंकणी]], [[मैथिली भाषा|मैथिली]], [[मलयालम भाषा|मलयालम]], [[मणिपुरी भाषा|मणिपुरी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[नेपाली भाषा|नेपाली]], [[ओड़िया भाषा|ओडिया]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], संस्कृत, [[संथाली भाषा|संतली]], [[सिन्धी भाषा|सिंधी]], [[तमिल भाषा|तमिल]], [[तेलुगू भाषा|तेलुगू]], [[बोड़ो भाषा|बोड़ो]], [[डोगरी भाषा|डोगरी]], बंगाली और [[गुजराती भाषा|गुजराती]] है।
[[भारत का संविधान|भारतीय संविधान]] अनुच्छेद 343. संघ की राजभाषा
(1) संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी, संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा।
 
(2) खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि तक संघ के उन सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था :
 
परन्तु राष्ट्रपति उक्त अवधि के दौरान, आदेश द्वारा, संघ के शासकीय प्रयोजनों में से किसी के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का और भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप के अतिरिक्त देवनागरी रूप का प्रयोग प्राधिकृत कर सकेगा।
 
(3) इस अनुच्छेद में किसी बात के होते हुए भी, संसद् उक्त पन्द्रह वर्ष की अवधि के पश्चात्‌, विधि द्वारा
 
(क) अंग्रेजी भाषा का, या
 
(ख) अंकों के देवनागरी रूप का,
 
ऐसे प्रयोजनों के लिए प्रयोग उपबंधित कर सकेगी जो ऐसी विधि में विनिर्दिष्ट किए जाएं।
 
अनुच्छेद 344. राजभाषा के संबंध में आयोग और संसद की समिति
(1) राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारंभ से पांच वर्ष की समाप्ति पर और तत्पश्चात्‌ ऐसे प्रारंभ से दस वर्ष की समाप्ति पर, आदेश द्वारा, एक आयोग गठित करेगा जो एक अध्यक्ष और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट विभिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा जिनको राष्ट्रपति नियुक्त करे और आदेश में आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया परिनिश्चित की जाएगी।
 
(2) आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह राष्ट्रपति को :
 
(क) संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिंदी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग,
 
(ख) संघ के सभी या किन्हीं शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर निर्बंधनों,
 
(ग) अनुच्छेद 348 में उल्लिखित सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा,
 
(घ) संघ के किसी एक या अधिक विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए प्रयोग किए जाने वाले अंकों के रूप,
 
(ड़) संघ की राजभाषा तथा संघ और किसी राज्य के बीच या एक राज्य और दूसरे राज्य के बीच पत्रादि की भाषा और उनके प्रयोग के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्देशित किए गए किसी अन्य विषय, के बारे में सिफारिश करे।
 
(3) खंड (2) के अधीन अपनी सिफारिशें करने में, आयोग भारत की औद्योगिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उन्नति का और लोक सेवाओं के संबंध में अहिंदी भाषी क्षेत्रों के व्यक्तियों के न्यायसंगत दावों और हितों का सम्यक ध्यान रखेगा।
 
(4) एक समिति गठित की जाएगी जो तीस सदस्यों से मिलकर बनेगी जिनमें से बीस लोक सभा के सदस्य होंगे और दस राज्य सभा के सदस्य होंगे जो क्रमशः लोक सभा के सदस्यों और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे।
 
(5) समिति का यह कर्तव्य होगा कि वह खंड (1)के अधीन गठित आयोग की सिफारिशों की परीक्षा करे और राष्ट्रपति को उन पर अपनी राय के बारे में प्रतिवेदन दे।
 
(6) अनुच्छेद 343 में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रपति खंड (5) में निर्दिष्ट प्रतिवेदन पर विचार करने के पश्चात्‌ उस संपूर्ण प्रतिवेदन के या उसके किसी भाग के अनुसार निदेश दे सकेगा। [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेजी भाषा]] को आधिकारिक भाषा के रूप में जगह दी है। इसके अलावा अलग अलग राज्यों में स्थानीय भाषा के अनुसार भी अलग अलग आधिकारिक भाषाओं को चुना गया है। फिलहाल 22 आधिकारिक भाषाओं में [[असमिया भाषा|असमी]], [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], [[कोंकणी भाषा|कोंकणी]], [[मैथिली भाषा|मैथिली]], [[मलयालम भाषा|मलयालम]], [[मणिपुरी भाषा|मणिपुरी]], [[मराठी भाषा|मराठी]], [[नेपाली भाषा|नेपाली]], [[ओड़िया भाषा|ओडिया]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], संस्कृत, [[संथाली भाषा|संतली]], [[सिन्धी भाषा|सिंधी]], [[तमिल भाषा|तमिल]], [[तेलुगू भाषा|तेलुगू]], [[बोड़ो भाषा|बोड़ो]], [[डोगरी भाषा|डोगरी]], बंगाली और [[गुजराती भाषा|गुजराती]] है।
 
वर्तमान में सभी 22 भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। 2010 में [[गुजरात उच्च न्यायालय]] ने भी सभी भाषाओं को समान अधिकार के साथ रखने की बात की थी, हालांकि न्यायालयों और कई स्थानों में केवल अंग्रेजी भाषा को ही जगह दिया गया है।