"एड्स": अवतरणों में अंतर

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'''STI/STD''': [[यौन संक्रमित रोग|यौन प्रसारित संक्रमण]]/रोग
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एच आई वी एड्स एक जानलेवा बीमारी है पूरी दुनियाँ में इस बीमारी से बहुत से लोग आज भी पीड़ित है , यह बीमारी एक बंदर से उतपन्न हुई वायरस के रूप में और मानव के बीच यह बीमारी तेजी से फैलने लगी ! एक्सपर्ट का कहना है की यह बीमारी बंदर से एक जानलेवा वाइरस के रूप में हुई इस वायरस का नाम HIV एच आई वी रखा गया यह वायरस इतना ज्यादा खतरनाक व जानलेवा था की इस वायरस पर कोई भी दवा का असर नही होता था इस बीमारी का कोई भी इलाज नहीं है ! यह बीमारी यौन सम्बन्ध के बनाने से होती है , अगर HIV महिला या पुरुष दोनों में से कोई भी HIV पाजटिव है तो यह दोनों किसी और के साथ सम्बन्ध बनाते है तो यह बीमारी उसे भी हो जाएगी !
'''उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण''' या '''एड्स''' ([[अंग्रेज़ी]]:एड्स) [[मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु]] [मा.प्र.अ.स.] (एच.आई.वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एच.आई.वी. संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में ८ से १० वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते हैं।
 
HIV पाजटिव व्यक्ति 9 - 10 साल में यही बीमारी और जानलेवा होकर एड्स का रूप ले लेती है और तरह - तरह के बीमारियाँ होने लगती है यही बीमारियाँ मौत का कारण बनती है !
 
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'''उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण''' या '''एड्स''' ([[अंग्रेज़ी]]:एड्स) [[मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु]] [मा.प्र.अ.स.] (एच.आई.वी) संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। एड्स स्वयं कोई बीमारी नही है पर एड्स से पीड़ित मानव शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। एड्स पीड़ित के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः क्षय होने से कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं। एच.आई.वी. संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में ८ से १० वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों के बिना रह सकते हैं।
 
एड्स वर्तमान युग की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है यानी कि यह एक महामारी है। एड्स के संक्रमण के तीन मुख्य कारण हैं - असुरक्षित यौन संबंधो, रक्त के आदान-प्रदान तथा माँ से शिशु में संक्रमण द्वारा। [https://web.archive.org/web/20070312184838/http://www.nacoonline.org/ राष्ट्रीय उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण नियंत्रण कार्यक्रम] और [https://web.archive.org/web/20130526040247/http://www.unaids.org/] संयुक्त राष्ट्रसंघ उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण] दोनों ही यह मानते हैं कि भारत में ८० से ८५ प्रतिशत संक्रमण असुरक्षित विषमलिंगी/विषमलैंगिक यौन संबंधों से फैल रहा है<ref>{{cite web| last = | title = भारत में एड्सः शतुरमुर्ग सा रवैया| publisher = निरंतर| date = 2006-08-01| url = http://www.nirantar.org/0806-cover-bharat-mein-aids| access-date = 25 दिसंबर 2009| archive-url = https://web.archive.org/web/20101009132816/http://www.nirantar.org/0806-cover-bharat-mein-aids| archive-date = 9 अक्तूबर 2010| url-status = live}}</ref>। माना जाता है कि सबसे पहले इस रोग का विषाणु: एच.आई.वी, अफ्रीका के खास प्राजाति की बंदर में पाया गया और वहीं से ये पूरी दुनिया में फैला। अभी तक इसे लाइलाज माना जाता है लेकिन दुनिया भर में इसका इलाज पर शोधकार्य चल रहे हैं। १९८१ में एड्स की खोज से अब तक इससे लगभग ३० करोड़ लोग जान गंवा बैठे हैं।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/एड्स" से प्राप्त