"गायत्री मन्त्र": अवतरणों में अंतर

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: '''तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गोदेवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।''' (ऋग्वेद ३,६२,१०)
 
==गायत्री महामंत्र का अर्थ और लाभ ==
[[चित्र:Gayatri1.jpg|right|200px|thumb|गायत्री मन्त्र का [[देवी]] के रूप में चित्रण]]
: ''ॐ भूर् भुवः स्वः।
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: ''भर्गो देवस्य धीमहि।
: ''धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
:
: '''<big>पदार्थ :-</big>'''
 
;हिन्दी में भावार्थ :
* ॐ – अविनाशी ईश्वर
* भूः – भूलोक
* भुवः- अंतरिक्ष लोक
* स्वः- स्वर्गलोक
* ततः- उस
* सवितुः- सृष्टी कर्ता
* वरेण्यमः- अतिश्रेष्ठ
* भर्गः – पापनाशक
* देवस्यः- देव को
* धिमहिः- धारण करे
* धियोः- सद्बुद्धी एवम सत्कर्म में
* योः – वह(ईश्वर)
* नः – हमें
* प्रचोदयात्ः- प्रेरित करे
;हिन्दी में भावार्थ
 
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
''भावार्थः- हम उस अविनाशी ईश्वर का ध्यान करते है,  जो भूलोक, अंतरिक्ष , और स्वर्ग लोकोंका का उत्पन्न किया है, उस सृष्टी कर्ता , पापनाशक,अतिश्रेष्ठ देव को हम धारण करते है – वह (ईश्वर) हमें सद्बुद्धी दें एवम सत्कर्म मे प्रेरित करे.''https://esmarthindi.com/gayatri-mantra-ka-hindi-me-arth/
 
'''मंत्र जप के लाभ'''
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* [https://spiritualworld.co.in/religious-songs-and-vrat-kathayen/hindu-aarti-collection/shri-gayatri-ji-ki-aarti-in-hindi-and-english श्री गायत्री जी की आरती]
* [https://web.archive.org/web/20150618143742/http://www.gspj.org/ गायत्री परिवार, शक्तिपीठ जयपुर]
* [https://esmarthindi.com/gayatri-mantra-ka-hindi-me-arth/ गायत्री मंत्र का अर्थ एवं उसका महत्त्व]
 
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म]]