"कंचनजंघा": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2401:4900:168E:C23F:AFED:DF8B:34F0:2905 (Talk) के संपादनों को हटाकर Ujjjval के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 89:
== इतिहास ==
कंचनजंगा का पहला मानचित्र 19 वीं शताब्दी के मध्य में एक विद्वान अन्वेषणकर्ता रीनजिन नांगयाल ने इसका परिपथात्मक मानचित्र तैयार किया था। [[१८४८|1848]] व [[१८४९|1849]] में एक वनस्पतिशास्त्री सर जोजेफ हुकर इस क्षेत्र में आने वाले और इसका वर्णन करने वाले पहले यूरोपीय थे। [[१८९९|1899]] में अन्वेषणकर्ता -पर्वतारोही डगलस फ्रेशफ़ील्ड ने इस पर्वत की परिक्रमा की। [[१९०५|1905]] में एक एंग्लो-स्विस दल ने प्रस्तावित यालुंग घाटी मार्ग से जाने का प्रयास किया और इस अभियान में हिंसखलन होने से दल के चार सदस्यों की मृत्यु हो गयी।
बाद में पर्वतारोहियों ने इस पर्वत समूह के अन्य हिस्सों की खोज की। [[१९२९|1929]] और [[१९३१|1931]] में पोल बोएर के नेतृत्व में एक बाबेरियाई अभियान दल ने जेमु की ओर से इसपर चढ़ाई का असफल प्रयास किया। [[१९३०|1930]] में गुंटर वो डीहरेन फर्थ ने कंचनजंगा हिमनद की ओर से चढ़ने की कोशिश की। इन अन्वेषणों के दौरान [[१९३१|1931]] में उस समय तक हासिल की गयी सर्वाधिक ऊंचाई 7,700 मीटर थी। इन अभियानों में से दो के दौरान घातक दुर्घटनाओं ने इस पर्वत को असमान्य रूप से खतरनाक और कठिन पर्वत का नाम दे दिया। इसके बाद [[१९५४|1954]] तक इस पर चढ़ने का कोई प्रयास नहीं किया गया। फिर [[नेपाल]] स्थित यालुंग की ओर से इस पर ध्यान केन्द्रित किया गया। [[१९५१|1951]],[[१९५३|1953]] और [[१९५४|1954]] में गिलमोर लीवाइस की यालुंग यात्राओं के फलस्वरूप [[१९५५|1955]] में रॉयल ज्योग्राफ़िकल सोसायटी और एलपाईं क्लब ([[लंदन]]) के तत्वावधान में चार्ल्स इवान के नेतृत्व में ब्रिटिश अभियान दल ने इस पर चढ़ने का प्रयास किया और वे [[सिक्किम]] के लोगों के धार्मिक विश्वासों और इच्छाओं का आदर कराते हुये मुख्य शिखर से कुछ कदम की दूरी पर ही रुक गए।ujhhjjगए।
 
==चित्र दीर्घा==