"रुद्रप्रयाग": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:49-Rudraprayag.jpg|200px|right| रुद्रप्रयाग की एक पेंटिंग|कड़ी=Special:FilePath/49-Rudraprayag.jpg]]
'''रुद्रप्रयाग''' [[भारत]] के [[उत्तराखण्ड|उत्तरांचल]] राज्य के [[रुद्रप्रयाग जिला|रुद्रप्रयाग जिले]] में एक शहर तथा [[नगर पंचायत]] है। रुद्रप्रयाग [[अलकनन्दा नदी|अलकनंदा]] तथा [[मन्दाकिनी|मंदाकिनी]] नदियों का संगमस्थल है। यहाँ से अलकनंदा [[देवप्रयाग]] में जाकर [[भागीरथी नदी|भागीरथी]] से मिलती है तथा [[गंगा नदी|गंगा]] नदी का निर्माण करती है। प्रसिद्ध धर्मस्थल [[केदारनाथ कस्बा|केदारनाथ]] धाम रुद्रप्रयाग से ८६ किलोमीटर दूर है।
भगवान शिव के नाम पर रूद्रप्रयाग का नाम रखा गया है। रूद्रप्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदी पर स्थित है। रूद्रप्रयाग श्रीनगर (गढ़वाल) से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदाकिनी और अलखनंदा नदियों का संगम अपने आप में एक अनोखी खूबसूरती है। इन्‍हें देखकर ऐसा लगता है मानो दो बहनें आपस में एक दूसरे को गले लगा रहीं हो। ऐसा माना जाता है कि यहां संगीत उस्‍ताद नारद मुनि ने भगवान शिव की उपासना की थी और नारद जी को आर्शीवाद देने के लिए ही भगवान शिव ने रौद्र रूप में अवतार लिया था। यहां स्थित शिव और जगदम्‍बा मंदिर प्रमुख धार्मिक स्‍थानों में से है।
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== आकर्षण ==
[[चित्र:Rudraprayag016.jpg|right|250px|thumb|रुद्रप्रयाग में भागीरथी नदी|कड़ी=Special:FilePath/Rudraprayag016.jpg]]
=== अगस्त्यमुनि- ===
{{main|अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग}}
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=== गुप्‍तकाशी- ===
गुप्‍तकाशी ...
ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद पांण्‍डव भगवान शिव से मिलना चाहते थे और उनसे आर्शीवाद प्राप्‍त करना चाहते हैं। लेकिन भगवान शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे इसलिए वह गुप्‍ताकाशी से केदारनाथ चले गए। गुप्‍तकाशी समुद्र तल से 1319 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह एक स्‍तूप नाला पर स्थित है जो कि ऊखीमठ के समीप स्थित है। कुछ स्‍थानीय निवासी इसे राणा नल के नाम से बुलाते हैं। इसके अलावा पुराना विश्‍वनाथ मंदिर, अराधनेश्रवर मंदिर और मणिकारनिक कुंड गुप्‍तकाशी के प्रमुख आकर्षण केन्‍द्र है।