"बवासीर": अवतरणों में अंतर

छो Link Spamming/Promotional Links/Self Published Links
टैग: वापस लिया
छोNo edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 15:
| MeshID = D006484
}}
'''बवासीर''' या '''पाइल्स''' या (Hemorrhoid / पाइल्स या मूलव्याधि) एक ख़तरनाक बीमारी है। [https://www.fitnessayurveda.online/2020/06/Home-remedies-of-piles.html बवासीर 24 प्रकार] की होती है। आम भाषा में इसको खूनी और बादी बवासीर के नाम से जाना जाता है। कहीं पर इसे महेशी के नाम से जाना जाता है।
 
1-[https://www.fitnessayurveda.online/2020/06/Home-remedies-of-piles.html अंदरूनी बवासीर (internal Hemmorhoids])
'''1- खूनी बवासीर''' :- खूनी बवासीर में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिर्फ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाता है।
 
जैसा कि हमें इस के नाम से ही पता चल रहा है कि यहां गुदा के अंदर होने वाली बवासीर है यह बहुत ज्यादा नुकसान या तकलीफ नहीं देती है अगर खान पान में प्रयोग किया जाए तो यह समय के साथ ठीक हो जाती है।
'''2-बादी बवासीर''' :- बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। [[कब्ज]] बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, दर्द, खुजली, शरीर में बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है उसे डाक्टर अपनी भाषा में फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीड़ा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अँग्रेजी में फिस्टुला कहते हें। फिस्टुला प्रकार का होता है। भगन्दर में पखाने के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम कैंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।
 
2- बाह्म बवासीर (external Hemmorhoids)
 
यहां बवासीर गुदा के बाहरी हिस्से में पनपते हैं ।तथा यह वही स्थान पर होते हैं जहां से मल त्याग किया जाता है।समय के साथ-साथ इस में गांठ बनने लगती हैशुरुआत में तो इतनी तकलीफ नहीं देती लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ती है तो तकलीफ भी बढ़ती जाती है।
 
3- [https://www.fitnessayurveda.online/2020/06/Home-remedies-of-piles.html प्रोलैप्सड बवासीर ( prolapsed Hemmorhoids])
 
जब अंदरूनी बवासीर बढ़ने लगती है तो वह धीरे-धीरे बाहर की तरफ आने लगती है इस स्थिति को प्रोलेप्सड बवासीर कहा जाता है।
 
4- खूनी बवासीर (thrombased hemmoroids)
 
खूनी बवासीर यहां सभी प्रकार के बवासीर में सबसे जटिल बवासीर का प्रकार माना जाता है।क्योंकि इसमें रक्त स्राव होता है तथा रक्त स्राव होने से व्यक्ति कमजोर हो जाता हैतथा ऐसा होने से व्यक्ति बहुत तकलीफ में आ जाता है। अगर मल त्याग के समय खून आए तो यह एक गंभीर समस्या है
 
== कारण ==