"महासागरीय गर्त": अवतरणों में अंतर
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वास्तव में ये महासागरीय नितल पर स्थित तीव्र ढाल वाले लम्बे, पतले तथा गहरे अवनमन के क्षेत्र हैं। इनकी उतपत्ति महासागरीय तली में प्रथ्वी के क्रस्ट के वलन एवं भ्रंशन के परिणामस्वरूप मानी जाती हैं। अर्थात इनकी उतपत्ति विवर्तनिक क्रियाओं से हुई हैं।
इन गर्तों की गहराई 6,000 मीटर से 12,000 मीटर के बीच पाई जाती है
प्रशांत महासागर की [[मेरियाना खाई]] में स्थित मेरियाना गर्त 11,022 मीटर है,जो विश्व का सर्वाधिक गहरा गर्त है|
ये अत्याधिक गहराई में स्थित होते हैं,अतः अन्धकार पूर्ण होते हैं।
इनमें निक्षेप के नाम पर केवल आकाशीय धूल एवं ज्वालामुखी राख ही मिलते हैं।
इनकी उपस्थिति अधिकतर भूकंपीय व ज्वालामुखीय क्षेत्रों में मिलती हैं। अभी तक विश्व के महासागरों की तली में 57 महासागरीय गर्तों की उपस्थिति प्रमाणित हो चुकी है, जिसमें से 32 प्रशांत महासागर में,19 अटलांटिक महासागर में तथा शेष 6 हिंद महासागर में स्थित है। चैलेंजर,टोंगा, फिलीपाइन,पोर्टोरिको,टस्कोरा,सुण्डा,मुरे आदि प्रमुख हैं।
== विश्व के प्रमुख महासागरीय गर्त ==
* [[मेरियाना गर्त]]
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