"अलंकार": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Shubh hindi (वार्ता | योगदान) छोNo edit summary टैग: coi-spam यथादृश्य संपादिका |
छो Link Spamming/Promotional Links/Self Published Links टैग: वापस लिया |
||
पंक्ति 1:
<ref>{{Cite book|title=हिंदी भाषा शिक्षण|last=डबास|first=डॉ. जयदेव|publisher=Doaba House|year=2016|isbn=978-93-83232-55-0|location=1688, Nai Sarak, Delhi-110006|pages=210, 211}}</ref>परिभाषा - काव्य का सौंदर्य व शोभा बढ़ाने वाले तत्व
[[आभूषण|अलंकार]] जो शरीर का सौंदर्य बढ़ाने के लिए धारण किए जाते हैं।
पंक्ति 5:
अलंकारों के मुख्यत: तीन वर्ग किए गए हैं-
१.
२. अर्थालंकार-अर्थ को चमत्कृत या अलंकृत करने वाले अलंकार अर्थालंकार कहलाते हैं। जिस शब्द से जो अलंकार सिद्ध होता है, उस शब्द के स्थान पर दूसरा पर्यायवाची शब्द रख देने पर भी वही अलंकार सिद्ध होगा क्योंकि अलग अर्थालंकारों का संबंध शब्द से न होकर अर्थ से होता है।
३. उभयालांकार- जो अलंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित रहकर दोनों को चमत्कृत करते हैं, वे
१.
२. अनुप्रास अलंकार – वर्णों की आवृत्ति को अनुप्रास अलंकार कहते हैं वर्णों की आवृत्ति के आधार पर वृत्यानुप्रास , छेकानुप्रास , लाटानुप्रास, श्रुत्यानुप्रास और अंत्यानुप्रास आदि इसके मुख्य भेद हैं।<ref>{{Cite book|title=हिंदी भाषा शिक्षण|last=डबास|first=डॉ. जयदेव|publisher=Doaba House|year=2016|isbn=978-93-83232-55-0|location=1688, Nai Sarak, Delhi-110006|pages=210, 211}}</ref>
|