"राजा राममोहन राय": अवतरणों में अंतर

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[[File:Ram Mohan Roy 1964 stamp of India.jpg|thumb|left|१९६४ में भारत सरकार ने राजा राम मोहन राय जी की स्मृति में एक डाक-टिकट जारी किया]]
'''राजा राममोहन राय''' ({{lang-bn|রাজা রামমোহন রায়}}) (22 मई 1772 - 27 सितंबर 1833) को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत कहा जाता हैं। गोपाल कृष्ण गोखलेजी द्वारा उन्हें आधुनिक भारत का जनक कहा गया। भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है। वे [[ब्रह्म समाज]] के संस्थापक(अगस्त, 1828); भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा [[बंगाली पुनर्जागरण|बंगाल में नव-जागरण युग]] के पितामह थे। उन्होंने [[भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम]] और [[पत्रकारिता]] के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की। उनके आन्दोलनों ने जहाँ पत्रकारिता को चमक दी, वहीं उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया।
 
राजा राममोहन राय की दूर‍दर्शिता और वैचारिकता के सैकड़ों उदाहरण इतिहास में दर्ज हैं। [हिन्दी] के प्रति उनका अगाध स्नेह था। वे रू‍ढ़िवाद और कुरीतियों के विरोधी थे लेकिन संस्कार, परंपरा और राष्ट्र गौरव उनके दिल के करीब थे। वे स्वतंत्रता चाहते थे लेकिन चाहते थे कि इस देश के नागरिक उसकी कीमत पहचानें।
 
बचपन में ही इनके पिता ने इन्हे घर से निकाल दिया क्यूकि इन्होंने धार्मिक आडंबर के खिलाफ जाकर बात कर दी थी।
 
फिर वे अपने भाई के पास रहने चले आए । भाई को पिता और भाभी को माता मनाने बाले राजा राम मोहन राय को झटका तब लगा जब महामारी के कारण उनके बड़े भाई की मृत्यु हो गए इससे पहले कि वो कुछ समझ पाते लोगो ने उनकी भाभी को सती प्रथा के तहत् भाई के साथ ही जिंदा जला दिए।
 
मोहन राय के लाख रोने चिलाने से भी लोग नहीं माने उसी दिन इन्होंने प्रण किया कि ना जाने इस प्रथा के कारण कितने पुत्र अपने मा से, भाई अपने बहन से, पिता अपने पुत्री से और कई लोग बिछड़ गए मैं इस प्रथा को खत्म कर के ही रहूंगा।संपादक(मनीष)
 
== जीवनी ==
राजा राममोहन राय का जन्म [[बंगाल]] में 1772 में एक [[ कायस्थ ]]ब्राह्मण परिवार में हुआ था।<ref>{{cite news |title=याद आए कवि नजरूल व राजा राम मोहन राय |url=https://www.jagran.com/west-bengal/khadagpur-poet-najrul-and-raja-ram-mohan-roy-remembered-17986029.html |accessdate=7 जून 2018 |publisher=दैनिक जागरण |date=22 मई 2018 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180612140155/https://www.jagran.com/west-bengal/khadagpur-poet-najrul-and-raja-ram-mohan-roy-remembered-17986029.html |archive-date=12 जून 2018 |url-status=live }}</ref> १५ वर्ष की आयु तक उन्हें [[बंगाली]], [[संस्कृत]], [[अरबी]] तथा [[फ़ारसी]] का ज्ञान हो गया था। किशोरावस्था में उन्होने काफी भ्रमण किया। उन्होने 1809-1814 तक [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] के लिए भी काम किया। उन्होने [[ब्रह्म समाज]] की स्थापना की तथा विदेश ([[इंग्लैण्ड]] तथा [[फ़्रांस]]) भ्रमण भी किया।<ref>{{cite news |title=आधुनिक भारत के निर्माता कहे जाने वाले राजा राम मोहनराय का मनाया 246वां जन्मदिन |url=https://up.punjabkesari.in/uttar-pradesh/news/celebrated-246th-birthday-of-king-mohanrai-the-creator-of-modern-india-806190 |accessdate=7 जून 2018 |issue=22 मई 2018 |publisher=पंजाब केसरी |archive-url=https://web.archive.org/web/20180612135903/https://up.punjabkesari.in/uttar-pradesh/news/celebrated-246th-birthday-of-king-mohanrai-the-creator-of-modern-india-806190 |archive-date=12 जून 2018 |url-status=live }}</ref>
 
== कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष ==