"ईद अल-अज़हा": अवतरणों में अंतर
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ईद-ए-कुर्बां का मतलब है बलिदान की भावना। अरबी में 'क़र्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं मतलब इस मौके पर अल्लाह् इंसान के बहुत करीब हो जाता है। कुर्बानी उस पशु के जि़बह करने को कहते हैं जिसे 10, 11, 12 या 13 जि़लहिज्ज (हज का महीना) को खुदा को खुश करने के लिए ज़िबिह किया जाता है। कुरान में लिखा है: हमने तुम्हें हौज़-ए-क़ौसा दिया तो तुम अपने अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो।<br /><ref>{{Cite web |url=http://navbharattimes.indiatimes.com/other/sunday-nbt/special-story/-/articleshow/10627860.cms |title=संग्रहीत प्रति |access-date=28 सितंबर 2015 |archive-url=https://web.archive.org/web/20150928124452/http://navbharattimes.indiatimes.com/other/sunday-nbt/special-story/-/articleshow/10627860.cms |archive-date=28 सितंबर 2015 |url-status=live }}</ref>
'''इस ईद को
* ईदुल अज़हा
* ईद अल-अज़हा
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* ईद अल-अधा
* ईदुज़ जुहा
=== त्याग का उत्थान===
बकरीद का त्यौहार [[हिजरी]] के आखिरी महीने [[ज़ु अल-हज्जा]] में मनाया जाता है। पूरी दुनिया के मुसलमान इस महीने में [[मक्का]] [[सउदी अरब|सऊदी अरब]] में एकत्रित होकर हज मनाते है। ईद उल अजहा भी इसी दिन मनाई जाती है। वास्तव में यह हज की एक अंशीय अदायगी और मुसलमानों के भाव का दिन है। दुनिया भर के मुसलमानों का एक समूह मक्का में हज करता है बाकी मुसलमानों के अंतरराष्ट्रीय भाव का दिन बन जाता है। ईद उल अजहा का अक्षरश: अर्थ त्याग वाली ईद है इस दिन जानवर की कुर्बानी देना एक प्रकार की प्रतीकात्मक कुर्बानी है।
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