"पिलखुवा": अवतरणों में अंतर

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'''इतिहास''' -- पिलखुवा क़स्बा सन १७०० ईसवी में यहाँ रहने वाली मुस्लिम छीपी बिरादरी के पूर्वजों द्वारा बसाया गया, सन १७०० ईसवी में [[कलानौर]] से आकर बसे नत्थू सिंह राणा के दो पुत्र कल्याण सिंह व निहाल सिंह [ यहाँ आने के बाद इन दोनों भाइयों ने इस्लाम धर्म अपना लिया था और करीमु राणा व रहीमु राणा के नाम से मशहूर हुए ] पिलखुवा में कन्खली झील के किनारे आबाद हुए, इन दो भाइयों की संताने छपाई का काम करने की वजह से छीपी कहलाती है। कुछ समय के बाद लाला गंगा सहाय नाम के एक व्यक्ति यहाँ आकर बस गए और इनकी संतान भी यहाँ बड़ी तादाद में रहती है, फिर आहिस्ता- आहिस्ता अन्य लोग भी आते गए और कारवां बनता गया।
 
पहले यहाँ की आबादी कन्खली झील के आस पास ही हुआ करती थी और मोहल्ला गढ़ी एक अलग बस्ती थी मगर बढ़ते बढ़ते दो-तीन गाँव रमपुरा, पबला, जठ्पुरा और मोहल्ला गढ़ी भी पिलखुवा में ही समां गए ! आज के समय में पिलखुवा की आबादी N.H.-24 के दोनों तरफ बढती जा रही है। अन्यथा यह सब काल्पनिक है इसका इतिहास में कोई तथ्य नहीं है
 
== पिलखुवा की इंडस्ट्री और कारोबार ==