"वासुदेव महादेव अभ्यंकर": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 3:
[[सातारा|सतारा]] के प्रसिद्ध विद्वान् पंडित [[राजाराम शास्त्री गोडबोले]] उनके गुरु थे। इनके गुरु भास्कर शास्त्री अभ्यंकर उनके पितामह थे। उनके पिता की मृत्यु के बाद राजाराम शास्त्री ने उनका सारा भार अपने ऊपर ले लिया। न्यायमूर्ति [[महादेव गोविंद रानडे|महादेव गोविन्द रानडे]] ने उनकी विद्वत्ता को देखकर [[फर्ग्युसन कॉलेज]] में शास्त्री के पद पर उनकी नियुक्ति की। व्याकरण के साथ साथ [[वेदान्त दर्शन|वेदान्त]], [[मीमांसा दर्शन|मीमांसा]], [[साहित्य]], [[न्याय]], [[ज्योतिष]] आदि शास्त्रों में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का समान रूप में परिचय दिया। इन विषयों का अध्ययन, अध्यापन तथा लेखन आपका अव्याहत गति से चलता रहा।
अभ्यंकर की लेखनशैली बहुत ही मार्मिक, मौलिक तथा सरल है। ग्रंथों का स्तर ऊँचा है। संस्कृत में अनेक ग्रंथों पर उन्होंने टीकाएँ लिखी हैं। स्वंतत्र रचनाओं में
वे [[मुंबई विश्वविद्यालय]] के एम. ए. के परीक्षक थे। [[पुणे]] की वेदशास्त्रोत्तेजक सभा को भी उनकी सहानुभूति प्राप्त थी। जिस विद्वत्परंपरा में उनका निर्माण हुआ था वह महान् थी। इसी परंपरा में प्रो॰ कीलहार्न, बाल सरस्वती रानडे तथा गंगाधरशास्त्री तेलंग हुए थे। उनकी शिष्य परंपरा में पं॰ रंगाचार्य रेड्डी, शंकरशास्त्री मारुलकर, गणेशशास्त्री गोडबोले, सिद्धेश्वरशास्त्री चित्राव आदि प्रसिद्ध विद्वान् हुए हैं।
|