"आयुर्विज्ञान": अवतरणों में अंतर
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आयुर्विज्ञान का कई हजार वर्षों से इंसानों द्वारा विकास व उन्नयन किया जाता रहा है । पुरा काल से चली आ रही चिकित्सा पद्धतियों को पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के रूप में जाना जाता है वहीं
पाश्चात्य में 'पुनर्जागरण' के बाद जिस चिकित्सा पद्धति जिसका सिद्धांत तथ्य आधारित निदान है उसको आधुनिक चिकित्सा पद्धति कहा जाता है।<ref>{{Cite
प्राचीन भारत आयुर्विज्ञान के विकास में अग्रणी भूमिका निभाता रहा है , महर्षि चरक को आयुर्वेद एवं भारत में चिकित्सा का जनक माना जाता है वहीं महर्षि सुश्रुत को शल्य चिकित्सा का जनक माना जाता है । सन् 600 ई०पू० में महर्षि सुश्रुत ने विश्व की पहली प्लास्टिक शल्य क्रिया करी । <ref>
पाश्चात्य में हिपोक्रेट को आयुर्विज्ञान का जनक माना जाता है और हिपोक्रेटिक शपथ हर आधुनिक चिकित्सा पद्धिति के चिकित्सक द्वारा ली जाती है।<ref> [https://web.archive.org/web/20091029181928/http://encarta.msn.com/encyclopedia_761576397/Hippocrates.html, माइक्रोसोफ्ट इनका र्टा - हिप्पोक्रेट ]</ref>
इसी प्रकार अन्य सभ्यताओ में भी आयुर्विज्ञान का विकास हुआ और अनेक पद्धितियाँ जुड़ती गई जैसे 'एक्युपेन्चर' इसका विकास चीन में माना जाता है जोकि एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति है । आधुनिक चिकित्सा पद्धति एक महत्वपूर्ण पड़ाव जब आया जब रोबर्ट कोक द्वारा-व्याधियों की ज़र्म थ्योरी ( कीटाणु सिद्धांत ) - दिया गया ।<ref>{{Cite
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