"रानी की वाव": अवतरणों में अंतर

Gurjar samrat
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2409:4043:699:BCE1:0:0:25ED:8B0 (Talk) के संपादनों को हटाकर InternetArchiveBot के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 20:
'''रानी की वाव''' [[भारत]] के [[गुजरात]] राज्य के [[पाटण, गुजरात|पाटण]] में स्थित प्रसिद्ध [[बावड़ी]] (सीढ़ीदार कुआँ) है। इस चित्र को जुलाई 2018 में RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) द्वारा ₹100 के नोट पर चित्रित किया गया है तथा 22 जून 2014 को इसे [[युनेस्को|यूनेस्को]] के [[विश्व धरोहर|विश्व विरासत स्थल]] में सम्मिलित किया गया।<ref>{{Cite web |url=http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-Gujarat-11th-century-Queen-UNESCO-World-Heritage-Site-39-39-433279.html |title=रानी की वाव विश्व विरासत घोषित |access-date=23 जून 2014 |archive-url=https://web.archive.org/web/20180719203450/https://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-Gujarat-11th-century-Queen-UNESCO-World-Heritage-Site-39-39-433279.html |archive-date=19 जुलाई 2018 |url-status=live }}</ref>
 
पाटण को पहले 'अन्हिलपुर' के नाम से जाना जाता था, जो गुजरात की पूर्व राजधानी थी। कहते हैं कि रानी की वाव (बावड़ी) वर्ष 1063 में [[सोलंकी वंश|सोलंकी शासन]] के गुर्जर राजा [[भीमदेव प्रथम]] की प्रेमिल स्‍मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने बनवाया था। रानी उदयमति जूनागढ़ के चूड़ासमा शासक रा' खेंगार की पुत्री थीं। सोलंकी राजवंश के संस्‍थापक मूलराज थे। सीढ़ी युक्‍त बावड़ी में कभी सरस्वती नदी के जल के कारण गाद भर गया था। यह वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा तथा 27 मीटर गहरा है। यह भारत में अपनी तरह का अनूठा वाव है।