"गिलगित-बल्तिस्तान": अवतरणों में अंतर

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| established_title = स्थापित
| established_date = 317 अक्टूमई 20192020
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}}
'''गिलगित-बल्तिस्तान''' (<small>[[उर्दू भाषा|उर्दू]]: {{Nastaliq|گلگت بلتستان}}, [[बलती भाषा|बलती]]: གིལྒིཏ་བལྟིསྟན</small>), एक स्वायत्तशासी क्षेत्र है जिसे पहले '''उत्तरी क्षेत्र''' या '''शुमाली इलाक़े''' (<small>{{Nastaliq|شمالی علاقہ جات}}, शुमाली इलाक़ाजात</small>) के नाम से जाना जाता था। यह भारत की उत्तरतम राजनैतिक इकाई है। इसकी सीमायें पश्चिम में [[ख़ैबर पख़्तूनख़्वा|खैबर-पख़्तूनख्वा]] से, उत्तर में [[अफ़ग़ानिस्तान]] के [[वाख़ान|वाख़ान गलियारे]] से, उत्तरपूर्व में [[चीन]] के [[शिंजियांग|शिन्जियांग प्रान्त]] से, दक्षिण में और दक्षिणपूर्व में भारतीय [[जम्मू और कश्मीर|जम्मू व कश्मीर]] केंंद्र गिलगित बाल्टिस्तान का क्षेत्रफल 72,971 वर्ग किमी (28,174 मील²) और अनुमानित जनसंख्या लगभग दस लाख है। इसका प्रशासनिक केन्द्र [[गिलगित]] शहर है, जिसकी जनसंख्या लगभग 2,50,000 है।
 
[[१९७०|1970]] में "उत्तरी क्षेत्र” नामक यह प्रशासनिक इकाई, [[गिलगित एजेंसी]], लद्दाख़ वज़ारत का [[बल्तिस्तान ज़िला]], [[हुन्ज़ा]] और [[नगर रियासत|नगर]] नामक राज्यों के विलय के पश्चात अस्तित्व में आई थी।
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पाकिस्तान की स्वतंत्रता और 1947 में भारत के विभाजन से पहले, [[महाराज हरि सिंह|महाराजा हरि सिंह]] ने अपना राज्य गिलगित और बल्तिस्तान तक बढ़ाया था। विभाजन के बाद, संपूर्ण जम्मू और कश्मीर, एक स्वतंत्र राष्ट्र बना रहा। 1947 के भारत पाकिस्तान युद्ध के अंत में संघर्ष विराम रेखा (जिसे अब [[नियंत्रण रेखा]] कहते हैं) के उत्तर और पश्चिम के कश्मीर के भागों को के उत्तरी भाग को '''उत्तरी क्षेत्र''' (72,971 किमी²) और दक्षिणी भाग को [[आज़ाद कश्मीर]] (13,297 किमी²) के रूप में विभाजित किया गया। उत्तरी क्षेत्र नाम का प्रयोग सबसे पहले [[संयुक्त राष्ट्र]] ने कश्मीर के उत्तरी भाग की व्याख्या के लिए किया। 1963 में उत्तरी क्षेत्रों का एक छोटा हिस्सा जिसे [[ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट|शक्स्गम घाटी]] कहते हैं, पाकिस्तान द्वारा अनंतिम रूप से जनवादी चीन गणराज्य को सौंप दिया गया।
 
पाकिस्तान सरकार ने 1974 में गिलगित-बाल्टिस्तान में राज्य विषय नियम (एसएसआर) को समाप्त कर दिया,<ref>{{cite web|url=https://www.bbc.com/hindi/international-49517339|title=गिलगित-बल्तिस्तान के लोग पाकिस्तान से कितने ख़ुश|access-date=1 सितंबर 2019|archive-url=https://web.archive.org/web/20190912065537/https://www.bbc.com/hindi/international-49517339|archive-date=12 सितंबर 2019|url-status=live}}</ref> जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुए।<ref>{{Cite web|url=https://indianexpress.com/article/opinion/columns/those-troubled-peaks/|title=Those Troubled Peaks|date=May 11, 2015|access-date=5 अगस्त 2019|archive-url=https://web.archive.org/web/20190805052244/https://indianexpress.com/article/opinion/columns/those-troubled-peaks/|archive-date=5 अगस्त 2019|url-status=live}}</ref><ref>{{Cite web|url=http://www.dawn.com/news/1188410|title=GB’s aspirations|first=Tahir|last=Mehdi|date=June 16, 2015|website=DAWN.COM|access-date=5 अगस्त 2019|archive-url=https://web.archive.org/web/20190805052252/https://www.dawn.com/news/1188410|archive-date=5 अगस्त 2019|url-status=live}}</ref> वर्तमान में गिलगित-बल्तिस्तान, सात ज़िलों में बंटा हैं, इसकी जनसंख्या लगभग दस लाख और क्षेत्रफल 28,000 वर्ग मील है। इसकी सीमायें पाकिस्तान, चीन, अफगानिस्तान और भारत से मिलती हैं। इस दूरदराज के क्षेत्र के लोगों को जम्मू और कश्मीर के पूर्व राजसी राज्य के डोगरा शासन से 1 नवम्बर 1947 को बिना किसी भी बाहरी सहायता के मुक्ति मिली और वे एक छोटे से समयांतराल के लिए एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिक बन गए। इस नए राष्ट्र ने स्वयं के एक आवश्यक प्रशासनिक ढांचे के आभाव के फलस्वरूप पाकिस्तान की सरकार से अपनी सरकार के मामलों के संचालन के लिए सहायता मांगी। पाकिस्तान की सरकार ने उनके इस अनुरोध को स्वीकारते हुए उत्तरपश्चिम सीमांत प्रांत से सरदार मुहम्मद आलम खान जो कि एक अतिरिक्त सहायक आयुक्त थे, को गिलगित भेजा। इसके पहले नियुक्त राजनीतिक एजेंट के रूप में, सरदार मुहम्मद आलम खान ने इस क्षेत्र का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।
 
स्थानीय, उत्तरी लाइट इन्फैंट्री, सेना की इकाई है और माना जाता है कि 1999 के [[कारगिल युद्ध]] के दौरान इसने पाकिस्तान की सहायता की और संभवत: पाकिस्तान की ओर से युद्ध में भाग भी लिया। कारगिल युद्ध में इसके 500 से अधिक सैनिक मारे गये, जिन्हें उत्तरी क्षेत्रों में दफन कर दिया गया। [[ललक जान]], जो [[यासीन वादी|यासीन घाटी]] का एक शिया इमामी इस्माइली मुस्लिम (निज़ारी) सैनिक था, को कारगिल युद्ध के दौरान उसके साहसी कार्यों के लिए पाकिस्तान के सबसे प्रतिष्ठित पदक [[निशान-ए-हैदर]] से सम्मानित किया गया।
 
 
=== स्वायत्त स्थिति और वर्तमान गिलगित-बल्तिस्तान ===
29 अगस्त 2009 को ''गिलगित-बल्तिस्तान अधिकारिता और स्व-प्रशासन आदेश 2009'', पाकिस्तानी मंत्रिमंडल द्वारा पारित किया गया था और फिर इस पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किए गए। यह आदेश गिलगित-बल्तिस्तान के लोगों को एक लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गयी विधानसभा के माध्यम से स्वशासन की आज्ञा देता है। पाकिस्तानी सरकार के इस कदम की पाकिस्तान, भारत के अलावा गिलगित-बल्तिस्तान में भी आलोचना की गयी है साथ ही पूरे इलाके में इसका विरोध भी किया गया है। लाइव
खबरें
भारत
क्या है गिलगित-बाल्टिस्तान पर हुए भारत-पाकिस्तान की जुबानी जंग की पूरी कहानी
05.05.2020
 
Pakistan Wahlen in Gilgit-Baltistan (Bildergalerie)
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव करवाने का आदेश दिया है. भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है और उसे जल्द से जल्द इसे खाली कर देना चाहिए.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव करवाने की निंदा की. विदेश मंत्रालय ने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत के अभिन्न अंग हैं और इन पर पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है, इसलिए पाकिस्तान के पास यहां चुनाव करवाने का कोई अधिकार नहीं है.
 
30 अप्रैल को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी सरकार की याचिका पर फैसला देते हुए गिलगित-बाल्टिस्तान ऑर्डर, 2018 में बदलाव कर इस इलाके में एक कार्यकारी सरकार बनाने और नए सिरे से चुनाव करवाने के आदेश दिए हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार ने इस मुद्दे पर स्थिति 1994 में संसद में पास हुए एक प्रस्ताव के जरिए स्पष्ट कर दी थी और भारत की आज भी यही राय है.
 
क्या है गिलगित-बाल्टिस्तान की कहानी?
 
भारत और पाकिस्तान के बीच सबसे बड़ा विवाद जम्मू कश्मीर के ऊपर है. पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के पश्चिमी सिरे पर गिलगित और इसके दक्षिण में बाल्टिस्तान स्थित है. यह इलाका 4 नवंबर 1947 के बाद से ही पाकिस्तान के प्रशासन में है.
 
ये भी पढ़िए: पाकिस्तान बनने से अब तक की पूरी कहानी
 
 
 
पाकिस्तान बनने से अब तक की पूरी कहानी
1947
1 | 28Show Caption
भारत की आजादी से पहले गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू कश्मीर रियासत का ही हिस्सा था. लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान के इलाके को अंग्रेजों ने वहां के महाराजा से साल 1846 से लीज पर ले रखा था. ये इलाका ऊंचाई पर स्थित है, ऐसे में यहां से निगरानी रखना आसान था. यहां गिलगित स्काउट्स नाम की सेना की टुकड़ी तैनात थी. जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तो इसे जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को वापस कर दिया गया. हरि सिंह ने ब्रिगेडियर घंसार सिंह को यहां का गवर्नर बनाया. गिलगित स्काउट्स वहीं तैनात रही. उस समय इस फौज के अधिकांश अधिकारी अंग्रेज ही हुआ करते थे.
 
1947 में जब कश्मीर पर पाकिस्तानी फौज ने हमला कर दिया तो 31 अक्टूबर को महाराजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए. इस तरह गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का हिस्सा बन गया. लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान में मौजूद फौज के अंग्रेज अधिकारियों ने इस समझौते को नहीं माना. वहां फौज ने गवर्नर घंसार सिंह को जेल में डाल दिया. वहां के अंग्रेज फौजी अधिकारियों ने पाकिस्तान के साथ गिलगित-बाल्टिस्तान को मिलाने का समझौता कर लिया.
 
2 नवंबर 1947 को गिलगित में पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया गया. पाकिस्तान की सरकार ने सदर मोहम्मद आलम को यहां का नया प्रशासक नियुक्त कर दिया. यह हिस्सा पाकिस्तान के प्रशासन में चला गया. 1949 में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तानी सरकार के बीच हुए कराची समझौते के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान को सौंप दिया गया.
 
 
गिलगित-बाल्टिस्तान में 2015 में हुए चुनावों की तस्वीर
1970 में इसे अलग प्रशासनिक इकाई का दर्जा दे दिया गया और इसका नाम नॉर्दन एरिया रखा गया. 2007 में वापस इसका नाम बदलकर गिलगित-बाल्टिस्तान कर दिया गया. पाकिस्तान में चार राज्य हैं. इनके अलावा पाक प्रशासित कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान को स्वायत्त इलाके का दर्जा दिया गया है. 2009 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने गिलगित-बाल्टिस्तान एम्पॉवरमेंट एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर 2009 जारी किया.
 
इस कानून के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान में एक विधानसभा बनाने और गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल बनाने के आदेश दिए गए. गिलगित-बाल्टिस्तान में मुख्यमंत्री और गवर्नर दोनों होते हैं. किसी भी मामले का अंतिम फैसला लेने का अधिकार गवर्नर के पास सुरक्षित है. हालांकि सारे जरूरी फैसले लेने का अधिकार गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल के पास है. इसके अध्यक्ष पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते हैं. 2009 के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान में तीन मुख्यमंत्री रहे हैं.
 
2009 के सरकारी आदेश को 2018 में बदला गया और गिलगित-बाल्टिस्तान की विधानसभा को कई महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए. गिलगित-बाल्टिस्तान की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 30 जून 2020 को खत्म हो रहा है. इसके 60 दिनों के अंदर यहां चुनाव करवाने होंगे.
 
अब नया विवाद क्या है?
 
पाकिस्तान में चुनाव होने से पहले एक कार्यकारी सरकार का गठन होता है. यही कार्यकारी सरकार अपनी देखरेख में चुनाव करवाती है. 2009 से गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव शुरू हए लेकिन यहां चुनाव से पहले कभी कार्यकारी सरकार का गठन नहीं होता था.
 
30 अप्रैल को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली सात न्यायाधीशों के एक बेंच ने अपने आदेश में यहां 2017 के चुनाव कानून के तहत संबंधित कानून बदल कर कार्यकारी सरकार बनाने और चुनाव करवाने के आदेश दिए गए हैं. इस फैसले में 2018 में गिलगित-बाल्टिस्तान को दी गई कई छूटों में भी कटौती की गई है.
 
अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान ने कहा है कि बदलाव राष्ट्रपति के अध्यादेश से किए जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में एक फैसले में गिलगित बाल्टिस्तान में लोगों को अधिकार देने से संबंधित गवर्नेंस सुधार कानून संसद में पास कराने को कहा था, जिस पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है. इसमें वहां चुनाव से पहले कार्यकारी सरकार बनाने का प्रावधान होता
 
गिलगित-बल्तिस्तान संयुक्त-आंदोलन ने इस आदेश को खारिज करते हुए नए पैकेज की मांग की है, जिसके अनुसार गिलगित-बल्तिस्तान की एक स्वतंत्र और स्वायत्त विधान सभा, भारत पाकिस्तान हेतु संयुक्त राष्ट्र आयोग (UNCIP)-प्रस्ताव के अनुसार स्थापित एक आधिकारिक स्थानीय सरकार के साथ बनाई जानी चाहिए, जहां गिलगित-बल्तिस्तान के लोग अपना राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री खुद चुनेंगे।
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[[चित्र:उत्तरी क्षेत्र पाकिस्तान.png|thumb|300px|गिलगित-बल्तिस्तान का मानचित्र इसके पुराने छह जिले और तहसीलों की सीमायें दर्शाते हुये। हाल ही में बनाये गये नये जिले हुन्जा-नगर और अब पहले से छोटे हो गये गिलगित जिले के बीच की सीमा वही है जो पहले गिलगित तहसील की थी। हुन्जा-नगर जिले का प्रशासनिक केन्द्र सिकन्दराबाद इस मानचित्र में नहीं दिखाया गया है।]]
 
गिलगित-बल्तिस्तान को प्रशासनिक रूप से दो डिवीजनों और इन डिवीजनों को सात जिलों में विभाजित किया गया है।<ref name="districts">{{cite web|url=http://www.dawn.com/2005/08/01/nat13.htm|title=Wrangling over new Astore district headquarters|accessdate=2006-11-17|work=Dawn Newspaper Internet Edition|archive-url=https://web.archive.org/web/20070927223900/http://www.dawn.com/2005/08/01/nat13.htm|archive-date=27 सितंबर 2007|url-status=live}}</ref> इन सात जिलों मे से दो ज़िले बल्तिस्तान और पांच जिले गिलगित डिवीजन में आते है। राजनीति के मुख्य केन्द्र [[गिलगित]] और [[स्कर्दू]] हैं।
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