"जीण माता": अवतरणों में अंतर
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==मंदिर का इतिहास==
लोक मान्यताओं के अनुसार जीवण का जन्म चौहान वंश के राजपूत परिवार में हुआ। उनके भाई का नाम हर्ष था जो बहुत खुशी से रहते थे। एक बार जीवण का अपनी भाभी के साथ विवाद हो गया और इसी विवाद के चलते जीवण और हर्ष में नाराजगी हो गयी। इसके बाद जीवण आरावली के 'काजल शिखर' पर पहुँच कर तपस्या करने लगीं।<ref>{{cite web |title=सामान्य नारी से देवी रूप में प्रकट हुई माता |url=http://www.amarujala.com/feature/spirituality/tirth-yatra/story-jin-mata-sikar-rajasthan/?page=1 |publisher=अमर उजाला |accessdate=२४ फ़रवरी २०१५ |archive-url=https://web.archive.org/web/20150224195716/http://www.amarujala.com/feature/spirituality/tirth-yatra/story-jin-mata-sikar-rajasthan/?page=1 |archive-date=24 फ़रवरी 2015 |url-status=live }}</ref> मान्यताओं के अनुसार इसी प्रभाव से वो बाद में देवी रूप में परिवर्तित हुई। जीवण ने यहाँ जयंती माताजी की तपस्या की और जीण माताजी के नाम से पूजी जाने लगी। यह मंदिर चूना पत्थर और संगमरमर से बना हुआ है। यह मंदिर आठवीं सदी में निर्मित हुआ था। जीणमाता राजस्थान, भारत के सीकर जिले में धार्मिक महत्व का एक गांव है। यह दक्षिण में सीकर शहर से 29 किमी की दूरी पर स्थित है। शहर की आबादी 4359 है जिसमें से 1215 अनुसूचित जाति और 113 एसटी लोग हैं। श्री जीणमाता जी (शक्ति की देवी) को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। जीण माता जी का पवित्र मंदिर माना जाता है कि यह एक हजार साल पुराना है। लाखों भक्त यहां नवरात्रि के दौरान चैत्र और अश्विन के महीने में दो बार एक रंगीन त्यौहार के लिए इकट्ठा होते हैं। बड़ी संख्या में आगंतुकों को समायोजित करने के लिए कई धर्मशालाएं हैं। इस मंदिर के करीब ही उसके भाई हर्ष भैरवनाथ मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। जीण माताजी मंदिर के पट कभी बंद नहीं होते हैं। ग्रहण में भी माई की आरती सही समय पर होती हैं।
जीण माताजी मंदिर रेवसा गांव से 10 किमी पहाड़ी के पास स्थित है। यह घने जंगल से घिरा हुआ है। उसका पूर्ण और वास्तविक नाम जयंतलाल था। इसके निर्माण का वर्ष ज्ञात नहीं है, लेकिन सर्वमण्डपा और खंभे निश्चित रूप से बहुत पुरानी हैं।
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