मेरा नाम अर्फा अलिया है। मेरा असल नाम खतीब अलिया अर्फा है और बदला गया था क्यों की मेरे जन्म प्रमाण पत्र में ऐसा दिया गया था। खतीब एक ख़िताब है जो ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है जो मसजिद में ख़ुतबा देता हो, पर मुझे यह ख़िताब उपनाम के रूप मेरे पूर्वजों के कारण मिला जो यह कार्य करते थे। मेरे बाकि दो नाम का एक ही मतलब है- ऊंचा ओहदा। अर्फा नाम मुझे अपने दादाजी ने रखा था और अलिया नाम नानाजी ने रखा था। मेरा जन्म मल्पे नामक जगह में हुआ था जो उडुपी जिला में स्थित है। उडुपी एक ऐसी जगह है जो नाकी केवल सुन्दर है, बल्के सभी सम्रधियों से भी भर पूर है। उडुपी की ऐश्वर्याओं में कृषन मठ, कोल्लूर मूकांबिका मंदिर, बाहुबली की प्रतीमा, कापु समुद्र तट, मल्पे समुद्र तट आदी आते हैं। मैंने उडुपी में बारह साल बिताएँ हैं। बालविहार से लेकर सात्वी कक्षा तक की पढाई मल्पे के श्री नारायणा गुरु अंग्रेजी माध्यम स्कूल में हुआ था। मैं खतीब नौशाद उस्मान और रहमानी कौसर की पुत्री हुँ। मेरे पिता दुबाई कि एक कंपनी में बिक्री कार्यकारी का कार्य करते हैं और मेरी माँ एक उतकृष्ट गृहिणी है। मेरे पिताजी एक रूढ़िवादी व्याक्ति हैं पर मुझसे बहुत प्रेम करते हैं। मेरी माँ से मुझे पिताजी से ज्यादा लगाव है। मेरी माँ अच्छे और साफ़ मन की औरत है। मेरे दो बड़े भाई बहन हैं। मेरे बड़े भाई का नाम खतीब नूर उल हुदा है। वह एक आई.आई.टी (हैदराबाद) इंजीनियर है और आगे की पढाई के लिये जापान गया हुआ है। वह एक अच्छा गाइड, समर्थक और रक्षक है। वह लाखों में एक है। वह मेरा प्रेणास्त्रोत है। मेरी बहन एक सुंदर, सुशील और दयालु लडकी है। उसका नाम खतीब फरहीन है। उसने बांगलोर मेडिकल कॉलेज द्वारा एम्.बी.बी.एस कोर्स की पूर्ती कि है। अब वह प्रशिक्षू का कार्य कर रही है। उसी की एम्.बी.बी.एस की पढाई के कारण हमारे परीवार को उडुपी से बेंगलुरू आना पडा। मुझे एक साल तक सिर्सी में रहना पड़ा जब तक उसे एक सीट मिला और वे सब लोग बेंग्लुरू में बसे। सिर्सी में मैं अपनी मासी के यहाँ टहरी थी और वहाँ के डॉन बास्को नामक एक शाला में पड़ रही थी। यह वही जगह है जहाँ मैं अपनी क्रीढा़ प्रतिभा से अवगत हुई थी। इस पाठशाला में मेरी जिंदगी ने एक नया मोड लिया था। मैं इस पाठशाला की बहुत आभारी हूं। मेऱी माता के इच्छा के अनुसार मुझे बाद में बेंगलुरू ले आया गया। तब से लेकर अब तक मैं बेंगलुरू में अपनी माता और बहन के सथ ही रह रही हुँ। मेरे पिताजी और भाई अभी भी देश के बाहर ही रह रहे हैं। मैं बेंगलुरू में नौव्वी कक्षा से लेकर दस्वी कक्षा तक मदर्स टच स्कूल गयी। मुझे एस्.एस्.एल्.सी परीक्षा में ९२% मिला था। इस कारण मुझे क्राईस्ट जूनियार कॉलेज में दाखिला मिला। इस कॉलेज से भी मैंने ९२% से पास हुई थी। अब मैं क्राइस्ट कॉलेज के बी.कॉम के प्रथम कक्षा में पढ़ रही हुँ। क्राइस्ट युनिवरसिटी एक बहुत सुंदर जगह है और ऐसी जगह जहाँ तुम अपनी छुपे हुए प्रतीभा और काबीलियत को पहचान सकते हो। इस दुनिया में हर किसी का व्यक्तित्व एक समान नहीं होता है। यह वही व्यकित्व जो हर एक को अद्वितीय और दूसरों से अल्ग करता है। हम वास्तव में एक ही व्यक्तित्व के दो लोगों को नहीं देख सकते है। वह कभी नहीं बदलता और एक व्यक्ति के गुणवत्ता का फैसला करता है। मैं अपना ही उदाहरण ले रही हूँ। मैं बहुत खास हूँ और मेरा व्यक्तित्व दूसरों की तूलना में अद्वितीय है। मुझे खेलना बहुत पसंद है। मैं चित्रकारी में भी दिलचस्पी रखती हुँ। किताबें पढ़ने का भी शौक है मुझे। मेरे पसंदीदा रंग पीला, काला और बैंगनी रंग हैं। मेरे कई उद्देश्य और लक्ष्य हैं जो मुझे साधने हैं। मैं एक मेहनाती लडकी हूँ और परिणा-उन्मुख काम में विश्वास रखती हूँ। मैं एक दुरदर्शिकता युक्त लडकी हुँ। मेरा लक्ष्य इस दुनिया का एक बहुत बडा आदमी बनना है और साथ ही मुझे अपने परीवार समेत रेहना है। मैं अपने देश से अत्यादिक प्रेम करती हुँ और उसके उन्नती के कार्य में योगदान देना चाहती हुँ। आशा करती हूँ कि मेरी कोशिश कामियाब हो। जय हिंद।