'''प्रस्थावान''' :
{{Infobox user
<!-- INFOBOX FORMATTING -------->|abovecolor=|color=|fontcolor=|abovefontcolor=|headerfontcolor=|tablecolor=<!-- LEAD INFORMATION ---------->|title=<!-- optional, defaults to {{BASEPAGENAME}} -->|status=|image=Atulya41.jpg|image_caption=|image_width=250px|name=|birthname=अतुल्य देवराजन करलील|real_name=अतुल्य करलील|gender=स्त्री|languages=मलयालम, इंग्लिश , हिंदी|birthdate=30.01.2000|birthplace=|location=|country=भारत|nationality=|ethnicity=|occupation=|employer=|education=|primaryschool=रयान इंटरनेशनल स्कूल|intschool=|highschool=दीक्षा, गोपालन|university=क्राइस्ट यूनिवर्सिटी|college=|hobbies=|religion=|politics=|movies=|books=|interests=<!-- CONTACT INFO -------------->|email=|irc=|facebook=|twitter=|joined_date=|first_edit=|userboxes=}}
मैं उन प्रतिभागियों के बीच आँखें बंद कर कड़ी हुई थी और जैसे ही की धुन शरू हुई सारी घबराहट गायब होने लगी और मैं उस धुन के साथ गुनगुनाने लगी.
यह मैग्निफिकेट नामक मेरे कॉलेज मैं एक गायक कार्यक्रम था.
बचपन से ऐसे ही कई समारोह में हिस्सा लेती आयी हूँ . मुझे आज भी याद है जब मेने पहली बार रंगमंच पर पापा के साथ गाना गया था . मैं पांच साल की थी , और वे मेरी ज़िन्दगी की सबसे खूबसूरत याद
'''परिचय''':
मैं '''अतुल्य करालील''' क्राइस्ट यूनिवर्सिटी मैं पढ़ने वाली अठारह साल की लड़की हूँ .
मेरी ज़िन्दगी के अठारह साल बोहोत ख़ुशनुमार गुज़रे हैं.
मैं बैंगलोर मैं अपने माता पिता और भाई के साथ रहती हूँ लेकिन यातायात के कठिनता से बचने के लिए कॉलेज के पास एक छात्रावास में रहती हूँ.
माता गृहिणी और पापा सॉफ्टवेर इंजीनीर है . भाई आठवीं कक्षा मैं है.
मैं पैदाइश बैंगलोर की नहीं हूँ पर मैंने अपनी सारी ज़िन्दगी इसी शहर मैं भिताई हैं .
मैं मलयाली हूँ.
मेरे चारों तरफ लोगों का यह कहना है की मैं बोहोत ही चंचल व्यक्ति हूँ और हमेशा हसमुख दिखती हूँ.
'''मैं और संगीत''':
संगीत हमेशा मेरे कल मैं था , आज में हैं और कल तक रहेगा .
शायद इसी कारण से मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में बी ऐ. पि इ पि नामक कोर्स कर रही हूँ.
पि ई पि यानी परफार्मिंग आर्ट्स इंग्लिश साइकोलॉजी .
मैं एक साइकोलॉजिस्ट बनना चाहती हूँ .
आज का समाज मैं लोग कई तरह की मानसिक पीड़ाएँ से गुज़र रहे हैं
साइकोलॉजिस्ट का काम ऐसे लोगों की बाते सुन्ना और उनसे बातों द्वारा उनकी पीड़ा दूर करना है.
गाने के अलावा मुझे फिल्मे देखने का बहुत शौक है . मुझे सफर करने का और शहरों में घूमना फिरना वहां की संस्कृति को पहचानना अलग अलग तरह के खाना के स्वाद लेना बहुत पसंद है.
मैं अक्सर सोचती हूँ की एक दिन मैं किसी एक अनजान बस मैं बैठकर वहां जाउंगी जहाँ वो मुझे ले चले.
मुझे प्रकृति से बहुत सुकून मिलता है जब मैं रात को तारे देखती हूँ मेरे पूरे दिन के तनाव व संकटे मानो खो जाते हैं.
ये सब जो मैं कह रही हूँ ये एक संक्षेप और अपरिपूर्ण लेखनी है .
मैं अब भी खुद को तलाश करने की राह पर हूँ .
क्यूंकि जीवन का अर्थ खुद को ढूंढ़ने में हैं.
|