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सबसे पहले दिक्सूचक का आविष्कार [[चीन]] के [[हान राजवंश]] ने किया था। यह एक बड़ी चम्मच-जैसी चुम्बकीय वस्तु थी जो काँसे की तस्तरी पर मैग्नेटाइट अयस्क को बिठा कर बनाई गई थी।
दिक्सूचक का प्राथमिक कार्य एक निर्देश दिशा की ओर संकेत करना है, जिससे अन्य दिशाएँ ज्ञात की जाती हैं। ज्योतिर्विदों और पर्यवेक्षकों के लिए सामान्य निर्देश दिशा दक्षिण है एवं अन्य व्यक्तियों के लिए निर्देश दिशा उत्तर है।
== उपयोग=
यूरोपीय साहित्य में दिक्सूचक का प्रथम परिचय १२०० ईसवी में अथवा इसके उपरांत ही मिलता है। सन् १४०० ईसवी के उपरांत से इस यंत्र का उपयोग नौचालन, विमानचालन एवं समन्वेषण में अत्यधिक बढ़ गया है। नाविक दिक्सूचक अत्यधिक समय तक बड़े ही अपरिष्कृत यंत्र थे१ १८२० ईसवी में बार्लो ने चार पाँच समांतर चुंबकों से युक्त एक पत्रक (card) का सूत्रपात किया। सन् १८७६ में सर विलियम टॉमसन (लार्ड केल्विन) ने अपने शुष्क पत्रक दिक्सूचक (Dry card compass) का निर्माण किया। सन् १८८२ में द्रवदिक्सूचक का निर्माण हुआ।
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दिक्सूचक मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं :
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