"पादप वर्गीकरण": अवतरणों में अंतर

No edit summary
पंक्ति 38:
}}
 
'''पादप वर्गिकी''' (Plant Taxonomy) के अन्तर्गत पृथ्वी पर मिलने वाले पौधों की पहचान तथा पारस्परिक समानताओं व असमानताओं के आधार पर उनका वर्गीकरण किया जाता है। विश्व में अब तक विभिन्न प्रकार के पौधों की लगभग 4.0 लाख जातियाँ ज्ञात है जिनमें से लगभग 70% जातियाँ पुष्पीय पौधों की है।

==इतिहास==
प्राचीनकाल में मनुष्य द्वारा पौधों का वर्गीकरण उनकी उपयोगिता जैसे भोजन के रूप में, [[तन्तु|रेशे]] प्रदान करने वाले, औषधि प्रदान करने वाले आदि के आधार पर किया गया था लेकिन बाद में पौधों को उनके आकारिकीय लक्षणों (morphological characters) जैसे पादप स्वभाव, बीजपत्रों की संख्या, पुष्पीय भागों की संरचना आदि के आधार पर किया जाने लगा।

[[सुश्रुत]] (800-1000 ईसापूर्व) ने पुष्प-विन्यास के संरचना तथा उनके जीवनकाल के आधार पर पादपों को चार वर्गों में बाँटा है- (१) वनस्पति (२) वृक्ष (३) वीरुध (४) ओषधि
: ''तासां स्थावराश्चतुर्विधाः वनस्पतयो, वृक्षाः, वीरुधः, ओषधयः इति।
तासु, अपुष्पाः फलवन्तो वनस्पतयः, पुष्पफलवन्तो वृक्षाः, प्रतानवत्यः स्तम्बिन्यश्च वीरुधः, फलपाकनिष्ठा ओषधय इति ॥ सुश्रुत सूत्र १/२॥

वर्तमान में पौधों के आकारिकीय लक्षणों के साथ-साथ भौगोलिक वितरण, शारीरिक लक्षणों (Anatomical characters), रासायनिक संगठन, आण्विक लक्षणों (molecular characters) आदि को भी वर्गिकी में प्रयुक्त किया जाता है। इस प्रकार पादप वर्गिकी के उपयुक्त आधारों के अनुसार निम्न प्रकार के बिन्दु स्पष्ट हो जाते है -
 
*(1) कोशिका वर्गिकी (Cytotaxonomy) : कोशिकीय संरचना व संगठन के आधार पर