"सूर्य सेन": अवतरणों में अंतर
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उन्होने आखिरी पत्र अपने दोस्तों को लिखा था जिसमें कहा था: "मौत मेरे दरवाजे पर दस्तक दे रही है। मेरा मन अनन्तकाल की ओर उड़ रहा है ... ऐसे सुखद समय पर,ऐसे गंभीर क्षण में, मैं तुम सब के पास क्या छोड़ जाऊंगा ? केवल एक चीज, यह मेरा सपना है, एक सुनहरा सपना- स्वतंत्र भारत का सपना .... कभी भी 18 अप्रैल, 1 9 30, चटगांव के विद्रोह के दिन को मत भूलना ... अपने दिल के देशभक्तों के नाम को स्वर्णिम अक्षरों में लिखना जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता की वेदी पर अपना जीवन बलिदान किया है।"
== मीडिया में ==
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