"कर्ण सिंह": अवतरणों में अंतर

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'''कर्ण सिंह''' (जन्म 1931) [[भारत|भारतीय]] राजनेता, लेखक और कूटनीतिज्ञ हैं। [[जम्मू और कश्मीर]] के [[महाराजा हरि सिंह]] और महारानी [[तारा देवी]] के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी (युवराज) के रूप में जन्मे डॉ. कर्ण सिंह ने अठारह वर्ष की ही उम्र में राजनीतिक जीवन में प्रवेश कर लिया था और वर्ष १९४९ में प्रधानमन्त्री पं. [[जवाहरलाल नेहरू]] के हस्तक्षेप पर उनके पिता ने उन्हें [[राजप्रतिनिधि]] (रीजेंट) नियुक्त कर दिया। इसके पश्चात अगले अठारह वर्षों के दौरान वे रीजेंटराजप्रतिनिधि, निर्वाचित [[सदर-ए-रियासत]] (मुख्यमंत्री) और अन्तत: [[राज्यपाल]] के पदों पर रहे।
'''कर्ण सिंह'''
[[जम्मू और कश्मीर]] के [[महाराजा हरि सिंह]] और महारानी [[तारा देवी]] के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी (युवराज) के रूप में जन्मे डॉ. कर्ण सिंह ने अठारह वर्ष की ही उम्र में राजनीतिक जीवन में प्रवेश कर लिया था और वर्ष १९४९ में प्रधानमन्त्री पं. [[जवाहरलाल नेहरू]] के हस्तक्षेप पर उनके पिता ने उन्हें रीजेंट नियुक्त कर दिया। इसके पश्चात अगले अठारह वर्षों के दौरान वे रीजेंट, निर्वाचित सदर-ए-रियासत और अन्तत: [[राज्यपाल]] के पदों पर रहे।
 
१९६७ में डॉ. कर्ण सिंह प्रधानमंत्री [[इंदिरा गाँधी]] के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। इसके तुरन्त बाद वे [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के प्रत्याशी के रूप में जम्मू और कश्मीर के [[उधमपुर]] संसदीय क्षेत्र से भारी बहुमत से [[लोक सभा]] के सदस्य निर्वाचित हुए। इसी क्षेत्र से वे वर्ष १९७१, १९७७ और १९८० में पुन: चुने गए। डॉ. कर्ण सिंह को पहले [[पर्यटन]] और नागर[[नगर विमानन]] मंत्रालय सौंपा गया। वे ६ वर्ष तक इस मंत्रालय में रहे, जहाँ उन्होंने अपनी सूक्ष्मदृष्टि और सक्रियता की अमिट छाप छोड़ी। १९७३ में वे [[स्वास्थ्य और [[परिवार नियोजन मंत्री]] मंत्री बने। १९७६ में जब उन्होंने [[राष्ट्रीय जनसंख्या नीति]] की घोषणा की तो [[परिवार नियोजन]] का विषय एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के रूप में उभरा। १९७९ में वे [[शिक्षा और संस्कृति मंत्री]] बने। डॉ. कर्ण सिंह ने मंत्रित्व पद पर रहते हुए न तो वेतन लिया और न ही वे सरकारी आवास में रहे। डॉ. कर्ण सिंह देशी रजवाड़े के अकेले ऐसे पूर्व शासक थे, जिन्होंने स्वेच्छा से [[प्रिवी पर्स]] का त्याग किया। उन्होंने अपनी सारी राशि अपने माता-पिता के नाम पर भारत में मानव सेवा के लिए स्थापित '[[हरि-तारा धर्मार्थ न्यास]]`' को दे दी। उन्होंने [[जम्मू]] के अपने [[अमर महल]] (राजभवन) को [[संग्रहालय]] एवं [[पुस्तकालय]] में परिवर्तित कर दिया। इसमें [[पहाड़ी लघुलघुचित्र|पहाड़ी चित्रोंलघुचित्रों]] और आधुनिक भारतीय कला का अमूल्य संग्रह तथा बीस हजार से अधिक पुस्तकों का निजी संग्रह है। डॉ. कर्ण सिंह [[धर्मार्थ न्यास]] के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है।
 
डॉ. कर्ण सिंह [[धर्मार्थ न्यास]] के अन्तर्गत चल रहे सौ से अधिक हिन्दू तीर्थ-स्थलों तथा मंदिरों सहित जम्मू और कश्मीर में अन्य कई न्यासों का काम-काज भी देखते हैं। हाल ही में उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय विज्ञान, संस्कृति और चेतना केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र सृजनात्मक दृष्टिकोण के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है। डॉ. कर्ण सिंह ने देहरादून स्थित [[दून स्कूल]] से सीनियर कैम्ब्रिज परीक्षा प्रथम श्रेणी के साथ उत्तीर्ण की और इसके बाद [[जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय]] से [[स्नातक]] उपाधि प्राप्त की। वे इसी [[विश्वविद्यालय]] के [[कुलाधिपति]] भी रह चुके हैं। वर्ष १९५७ में उन्होंने [[दिल्ली विश्वविद्यालय]] से [[राजनीतिक विज्ञान]] में एम.ए. उपाधि प्रथम श्रेणी के साथ हासिल की और कक्षा में प्रथम स्थान पर रहे। उन्होंने विश्वविद्यालय में एक ऐसा रिकार्ड स्थापित किया जो अभी तक नहीं टूट पाया है। उन्होंने [[श्री अरविंदो]] की राजनीतिक विचारधारा पर शोध प्रबन्ध लिख कर दिल्ली विश्वविद्यालय से डाक्टरेट उपाधि का अलंकरण प्राप्त किया। फलत: वे शैक्षिक योग्यता के प्रतिभा शिखर पर पहुँचे। [[बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय]] में वे श्री अरविंदो पीठ पर अवैतनिक प्रोफेसर रहे हैं और अब [[ओरोविले फाउंडेशन]] के शासी निकाय के अध्यक्ष हैं।
 
डॉ. कर्ण सिंह कई वर्षों तक जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति रहे हैं। वे [[केंद्रीय संस्कृत बोर्ड]] के अध्यक्ष, [[भारतीय लेखक संघ]], [[भारतीय राष्ट्र मण्डल सोसायटी]] और [[दिल्ली]] संगीत सोसायटी]] के पे्रसीडेंटसभापति रहे हैं। वे [[जवाहरलाल नेहरू स्मारक निधि]] के उपाध्यक्ष, [[टेम्पल ऑफ अंडरस्टेंडिंग]] (एक मुख्यप्रसिद्ध अन्तर्राष्ट्रीय अन्तर्विश्वास संगठन) के अध्यक्ष, [[भारत पर्यावरण और विकास पर जन-आयोगजनायोग]] के अध्यक्ष, [[इंडिया इंटरनेशनल सेंटर]] और [[विराट हिन्दू समाज]] के पे्रसीडेंटसभापति हैं। वे कई अन्य सांस्कृतिक और शैक्षिक संस्थानों से जुड़े हुए हैं। उन्हें अनेक मानद उपाधियों और पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें - बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, [[अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय]] और सोका विश्वविद्यालय, [[तोक्यो]] से प्राप्त डाक्टरेट की मानद उपाधियां उल्लेखनीय हैं। वे [[रोम]] के [[प्रस्टेजियस क्लब]] के सदस्य हैं। वे कई वर्षों तक [[भारतीय वन्यजीव बोर्ड]] के अध्यक्ष और अत्यधिक सफल - [[प्रोजेक्ट टाइगर]] - के अध्यक्ष रहने के कारण उसके आजीवन संरक्षी हैं।
 
डॉ. कर्ण सिंह ने राजनीति विज्ञान पर अनेक पुस्तकें, दार्शनिक निबन्ध, यात्रा-विवरण और कविताएं [[अंगे्रजीअंग्रेजी]] में लिखी हैं। उनके महत्वपूर्ण संग्रह "[[वन मैन`समैन्स वर्ल्ड]]" (एक आदमी की दुनिया) और [[हिन्दूवाद]] पर लिखे निबंधों की काफी सराहना हुई है। उन्होंने अपनी [[मातृभाषा]] [[डोगरी]] में कुछ भक्तिपूर्ण गीतों की रचना भी की है, और वे [[भारतीय शास्त्रीय संगीत]] के एक उत्साही छात्रविद्यार्थी हैं। उन्होंने पूरे भारत सहित विदेशों की व्यापक रूप से यात्राएं की हैं और कई महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। [[भारतीय सांस्कृतिक [[परम्परा]] में अपनी गहन अन्तर्दृष्टि और [[पश्चिमी साहित्य]] और [[पश्चिमी सभ्यता|सभ्यता]] की विस्तृत जानकारी के कारण वे भारत और विदेशों में एक विशिष्ट विचारक और नेता के रूप में जाने जाते हैं। वे एक विख्यात वक्ता हैं और उन्होंने पाँच महाद्वीपों में [[दर्शन]] और [[संस्कृति]], [[राजनीति]] और [[पर्यावरण]] पर व्याख्यान दिए हैं। [[संयुक्त राज्य अमरीका]] में भारतीय [[राजदूत]] के रूप में उनका कार्यकाल हालांकि कम ही रहा है, लेकिन इस दौरान उन्हें दोनों ही देशों में व्यापक और अत्यधिक अनुकूल मीडिया कवरेज मिली है।मिली।
 
==बाहरी कड़ियाँ==
* [http://www.karansingh.com/ Dr Karan Singh’s official website]
* [http://www.uq.net.au/~zzhsoszy/ips/j/jammukashmir.html Article on Shri Dr. Karan Singh, by Indian Princely States website]
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* [http://www.doononline.net/pages/info_features/features_spotlights/spotlights/ksingh/index.htm Article on Dr. Karan Singh by The Doon School]
* [http://jammukashmir.nic.in/govt/cntit1.htm#1 Proclamation of May 1, 1951 on Jammu & Kashmir Constituent Assembly by Yuvraj (Crown Prince) Karan Singh from the Official website of Government of Jammu and Kashmir, India]
 
[[श्रेणी:भारत के राजनेता]]
 
[[en:Karan Singh]]