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"श्री हरि विष्णुजी "के नाभिकमल से "ब्रह्मा जी",द्वारा उत्पन्न
"अत्री" ऋषि के पुत्र
"चन्द्रमा" के पुत्र
" बुध" नामक से
"एल" नाम के पुत्र से
" भाम" नाम से
"काँचन" नामक पुत्र से
" होत्र" नाम धारी पुत्र हुए इनसे
"जहू" हुए इनसे
" पुरू" हुए तिनके
"बालक" हुए इनसे
" अंजक" हुए इनके पुत्र
" कुश" कहलाए इनकी संतान
" कुशाब" से
" गधि" उत्पन्न हुए इन्ही के पुत्र
" विश्वामित्रजी" कहलाए इनसे
" कात्यायन" ऋषि से
"कंथित" के पुत्र
" चतुर्भुज" कहलाए इनके पुत्र
" गार्गीदत्त" हुए इनकी पहली स्त्री से
"मिठ्ठे" हुए जिनसे
चिन्तामणि" नामधारी हुए इनसे
" अनिरुद्ध" हुए इनकी दूसरी स्त्री से
" गंगाधर" कहलाए इन्हीं के पुत्र
" सतीदास" नाम के पुरुष के रूप में विख्यात हुए जिनका स्थान कन्नौज कहलाया जिनके कुल में ग्राम गुलहरिया निवासी "करसई दीन" के दो पुत्र सधारीलाल और "मुरलीधर" , सधारीलाल के एक पुत्र विश्वेश्वरदयाल,और इनके हुए विश्वनाथ के एक पुत्र विनोद इनके दो पुत्र गोविंद और गोपाल, गोविंद के हुए स्पर्श और श्रेष्ठ, गोपाल के हुए वेदान्त "मुरलीधर" की दो शादी हुई पहली से हुए स्वामीदीन इनके एक पुत्र जगदीश नारायण के हुए कृष्ण कुमार तिनके एक पुत्र हरि ओऽम "मुरलीधर" की दूसरी से हुए "देवीप्रसाद" इनके तीन पुत्र श्रीराम, "श्रीनारायण", श्रीगोपाल, श्रीराम से देवकी नन्दन, "श्री नारायण" से "सुशील कुमार", सुनील कुमार, "सुशील कुमार" से "तनुज नारायण" हुए श्रीगोपाल की पहली शादी से हुए सन्तोष कुमार इनके दो पुत्र आन्नद और आशीष, आनन्द के हुए आरूष, श्रीगोपाल की दूसरी शादी से हुए निरतिश्य और पवन, सतीदास पुरुषा के अन्तर्गतवंश जिनकी 14 या 15 विश्वा में गणना की जाती है। (संशोधन हेतु प्रेषित, तथ्य ढूंढे और अग्रेषित करें )....?!
धन्यवाद,-९४१५४८१३०८-------९९३६७७६६५५--
--------९३०७९८५१९८--
--------९२०८९०१९६४--
"सुशील कुमार मिश्र,, कानपुर -11
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