"भारत छोड़ो आन्दोलन": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
[[चित्र:L.B.Shastri1286.gif|thumb|left|200px|'''"मरो नहीं, मारो!"''' का नारा १९४२ में [[लालबहादुर शास्त्री]] ने दिया जिसने क्रान्ति की [[दावानल]] को पूरे देश में प्रचण्ड किया।]]
।। भारतछोडो का नारा युसुफमहात्मा मेहर अलीगाँधी ने दिया था! जो युसूफ मेहरली भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के अग्रणी नेताओं में थे.।।
 
विश्व युद्ध में [[इंग्लैण्ड]] को बुरी तरह उलझता देख जैसे ही नेताजी ने [[आज़ाद हिन्द फ़ौज|आजाद हिन्द फौज]] को "दिल्ली चलो" का नारा दिया, [[महात्मा गांधी|गान्धी]] जी ने मौके की नजाकत को भाँपते हुए ८ अगस्त १९४२ की रात में ही [[मुम्बई|बम्बई]] से अँग्रेजों को "भारत छोड़ो" व भारतीयों को "करो या मरो" का आदेश जारी किया और सरकारी सुरक्षा में यरवदा [[पुणे]] स्थित [[आगा खान पैलेस]] में चले गये। ९ अगस्त १९४२ के दिन इस आन्दोलन को [[लालबहादुर शास्त्री]] सरीखे एक छोटे से व्यक्ति ने प्रचण्ड रूप दे दिया। १९ अगस्त,१९४२ को शास्त्री जी गिरफ्तार हो गये। ९ अगस्त १९२५ को [[यूनाइटेड किंगडम|ब्रिटिश]] [[सरकार]] का तख्ता पलटने के उद्देश्य से 'बिस्मिल' के नेतृत्व में ''हिन्दुस्तान प्रजातन्त्र संघ'' के दस जुझारू कार्यकर्ताओं ने [[काकोरी काण्ड]] किया था जिसकी यादगार ताजा रखने के लिये पूरे देश में प्रतिवर्ष ९ अगस्त को "[[काकोरी काण्ड]] स्मृति-दिवस" मनाने की परम्परा [[भगत सिंह]] ने प्रारम्भ कर दी थी और इस दिन बहुत बड़ी संख्या में नौजवान एकत्र होते थे। [[महात्मा गांधी|गान्धी]] जी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत ९ अगस्त १९४२ का दिन चुना था।