"पुनर्नवा": अवतरणों में अंतर
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इस विशेषणात्मक नामकरण की पृष्ठभूमि पूर्णतः वैज्ञानिक है। पुनर्नवा का पौधा जब सूख जाता है तो वर्षा ऋतु आने पर इन से शाखाएँ पुनः फूट पड़ती हैं और पौधा अपनी मृत जीर्ण-शीर्णावस्था से दुबारा नया जीवन प्राप्त कर लेता है। इस विलक्षणता के कारण ही इसे ऋषिगणों ने 'पुनर्नवा' नाम दिया है।<ref>'पुनः पुनर्नवा भवति' जो फिर से प्रतिवर्ष नवीन हो जाए अथवा 'शरीरं पुनर्नवं करोति' जो रसायन एवं रक्तवर्धक होने से शरीर को पुनः नया बना दे, उसे पुनर्नवा कहते हैं।</ref> इसे शोथहीन व गदहपूरना भी कहते हैं।
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