"मुहम्मद बिन तुग़लक़": अवतरणों में अंतर

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== सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन ==
[[File:Forced token currency coin of Muhammad bin Tughlak.jpg|thumb|मुहम्मद बिन तुगलक के वक्त के सिक्के]]
तीसरी योजना के अन्तर्गत मुहम्मद तुग़लक़ ने सांकेतिक व प्रतीकात्मक सिक्कों का प्रचलन करवाया। सिक्के संबंधी विविध प्रयोगों के कारण ही एडवर्ड टामस ने उसे ‘धनवानों का राजकुमार’ कहा है। मुहम्मद तुग़लक़ ने 'दोकानी' नामक सिक्के का प्रचलन करवाया। बरनी के अनुसार सम्भवतः सुल्तान ने राजकोष की रिक्तता के कारण एवं अपनी साम्राज्य विस्तार की नीति को सफल बनाने हेतु सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन करवाया। सांकेतिक मुद्रा के अन्तर्गत सुल्तान ने संभवतः पीतल (फ़रिश्ता के अनुसार) और तांबा (बरनी के अनुसार) धातुओं के सिक्के चलाये, जिसका मूल्य चांदी के रुपये टका के बराबर होता था। सिक्का ढालने पर राज्य का नियंत्रण नहीं रहने से अनेक जाली टकसाल बन गये। लगान जाली सिक्के से दिया जाने लगा, जिससे अर्थव्यवसथा ठप्प हो गई। सांकेतिक मुद्रा चलाने की प्रेरणा चीन तथा ईरान से मिली। वहाँ के शासकों ने इन योजनाओं को सफलतापूर्वक चलाया, जबकि मुहम्मद तुग़लक़ का प्रयोग विफल रहा। सुल्तान को अपनी इस योजना की असफलता पर भयानक आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा।ऐसा नहीं था कि तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा चलाने से पहले जांच पड़ताल न की हो ,इन से पहले 12वी शताब्दी में चीन के शासक कुबलई खाँ ने कागज की मुद्राएं चलायी थी,और उनका प्रयोग सफल भी हुआ था ।
और इसी क्रम में फारस के शासक गाईखात्तु खाँ ने चमड़े का सिक्का चलाया था ,जिसमे कुबलई खाँ का का प्रयोग सफल हुआ और फारस के शासक का असफल ।