"अस्पृश्यता": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो छुवाछूत कभी भारतीय समाज में नही रहा ये केवल वामपंथीओ का एक प्रोपेगेंडा है। टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
No edit summary टैग: Manual revert |
||
पंक्ति 1:
{{unreferenced section|date=अक्तोबर् 2018}}
'''अस्पृश्यता''' का शाब्दिक अर्थ है - '''न छूना'''। इसे सामान्य भाषा में 'छूआ-छूत' की समस्या भी कहते हैं। अस्पृश्यता का अर्थ है किसी वय्क्ति या समूह के सभी लोगों के शरीर को सीधे छूने से बचना या रोकना। ये मान्यता है कि अस्पृश्य या अछूत लोगों से छूने, यहाँ तक कि उनकी परछाई भी पड़ने से उच्च जाति के लोग 'अशुद्ध' हो जाते है और अपनी शुद्धता वापस पाने के लिये उन्हें पवित्र गंगा-जल में स्नान करना पड़ता है। [[भारत]] में अस्पृश्यता की प्रथा को अनुच्छेद १७ के अंतर्गत एक दंडनीय [[अपराध]] घोषित कर दिया गया है। अनुच्छेद १७ निम्नलिखित है-
|